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श्याम बेनेगल ने 'मूक फिल्म समारोह' का किया उद्घाटन

श्याम बेनेगल ने मूक फिल्म समारोह का किया उद्घाटन
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नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में आयोजित तीन दिवसीय 'मूक फिल्म महोत्सव' का उद्घाटन फ़िल्मकार श्याम बेनेगल ने किया। उद्घाटन समारोह में श्याम बेनेगल ने आईजीएनसीए द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'पोस्टर बोलते हैं' का विमोचन भी किया। पोस्टर व उसके इतिहास पर केन्द्रित हिन्दी भाषा की यह पहली पुस्तक है। आईजीएनसीए के पूर्व मीडिया कंट्रोलर गौतम चटर्जी द्वारा संकल्पित इस पुस्तक का लेखन किया है इकबाल रिजवी ने।

इस फिल्म समारोह के क्यूरेटर सुरेश शर्मा ने समारोह के विषय में बताते हुए कहा कि "देश में एक-दो बार पहले भी मूक फिल्मों के समारोह आयोजित किए गए हैं लेकिन आईजीएनसीए द्वारा दिल्ली में यह पहला आयोजन है। इस समारोह के माध्यम से हमारा प्रयास है कि आज कि पीढ़ी को उस दौर में बनी फिल्मों से रूबरु करा सकें।

केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने उद्घाटन के मौके पर कहा, 'भारतीय सिनेमा का प्रारंभ दादा साहेब फाल्के द्वारा निर्मित राजा हरिश्चन्द्र फिल्म से हुई जो कि सत्य की खोज पर आधारित फिल्म थी| आईजीएनसीए भी उसी ओर अग्रसर है।' उन्होंने कहा कि भारत की स्वाधीनता के इतिहास में 14 सितम्बर का दिन ऐतिहासिक दिन है और श्याम बेनेगल ने इस कार्यक्रम के लिए आज का ही दिन चुना, उनको साधुवाद।

आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि "आईजीएनसीए सिनेमा के क्षेत्र में कुछ गंभीर कार्य करना चाहता था| उसी प्रयास में यह समारोह व हिन्दी में प्रकाशित यह "पोस्टर बोलते हैं" आपके सामने प्रस्तुत है। दो-ढाई साल पहले जब रामबहादुर राय जी केंद्र में अध्यक्ष के रूप में आए तो उस समय हमने तय किया था कि केंद्र के 50 प्रतिशत प्रकाशन हिन्दी में करेंगे और आज हिन्दी दिवस के अवसर पर पोस्टर व उसके इतिहास पर केन्द्रित इस पुस्तक का विमोचन हमारे लिए गर्व की बात है। पोस्टर व उसके इतिहास पर हिन्दी में यह न केवल आईजीएनसीए की बल्कि देश में भी पहली पुस्तक है। डॉ. जोशी ने आगे कहा कि सब लोग ये तो जानते हैं कि श्याम बेनेगल ने दर्शकों को कई बेहतरीन फिल्मे दी हैं लेकिन उनका एक पक्ष और है| उन्होंने 4000 के लगभग एड फ़िल्म व डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है| हमारे लिए यह गर्व की बात है कि उन्होंने अपनी पुस्तकों का संकलन आईजीएनसीए को दिया है जिसका लोकार्पण 17 तारीख को होना वाला है| मैं आज इस मंच से उनसे एक और आग्रह कर रहा हूं कि वो उनके द्वारा बनाई गई एड फिल्मों की एक प्रति आईजीएनसीए को दें ताकि उनके कार्य से सिनेमा के क्षेत्र में शोध करने वाले शोधार्थियों को सहायता मिले।

बतौर अतिथि मौजूद अतुल तिवारी ने कहा कि ''भले ही आज सिनेमा को कई रंग रूपों में देखा जा सकता है लेकिन सिनेमा विधा का जन्म मूक सिनेमा से ही हुआ है।''

श्याम बेनेगल ने कहा कि आज के सिनेमा कि हिसाब से इन फिल्मों को नहीं समझा जा सकता| आपको इनको पढ़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आईजीएनसीए धन्यवाद का पात्र है कि वो इस प्रकार का आयोजन कर रहा है।

इस फिल्म समारोह के उद्घाटन के बाद दादा साहब फाल्के की तीन फिल्में राजा हरिश्चंद्र (1913), श्री कृष्ण जन्म (1917) और कालिया मर्दन (1919) दिखाई गई| आज 15 सितम्बर को हिमांशु राय की 'द लाइट ऑफ एशिया (1925) तथा 'ए थ्रो ऑफ़ डाइस' (1929) एवं कालीपद दास की जमाई बाबू (1931) दिखाई जा रही है। समारोह के अंतिम दिन 16 सितंबर को दिन में दस बजे 'द लाइफ एंड पैशन ऑफ़ जीसस क्राइस्ट (1903), लंका दहन (1917), शीराज (1928 ) का प्रदर्शन होना है।

Updated : 15 Sep 2018 12:39 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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