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निर्भया दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति ने की खारिज

निर्भया दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति ने की खारिज
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नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के दोषी विनय शर्मा की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि अदालत ने शुक्रवार को दोषियों को फांसी देने के लिए जारी डेथ वारंट की तामिल पर रोक लगा दी है। दोषियों को फांसी कब दी जाएगी, अदालत ने इस बारे में कोई तारीख निर्धारित नहीं की है यानी अनिश्चितकाल तक लिए टाल दी है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने कोर्ट को बताया था कि एक दोषी को छोड़कर बाकी तीन की दया याचिका को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। अदालत ने शुक्रवार को कहा कि निर्भया के गुनहगारों को अलग-अगल फांसी नहीं दी जा सकती है। अदालत ने तिहाड़ जेल प्रशासन की उस दलील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है जिसमें निर्भया के गुनहगारों को अलग-अगल करके फांसी देने की मांग की गई थी।

पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दोषियों की ओर से फांसी देने के लिए जारी 'डेथ वारंट' पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है। दोषी विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता की ओर से अधिवक्ता ए.पी. सिंह ने अदालत को बताया कि अभी उनके मुवक्किल के पास कई कानूनी विकल्प मौजूद हैं, ऐसे में फांसी देने के लिए जारी डेथ वारंट पर अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी जाए। हालांकि तिहाड़ जेल प्रशासन ने दोषियों की इस मांग का विरोध किया। जेल प्रबंधन ने अदालत को बताया कि दोषियों को अलग-अगल फांसी दी जा सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फांसी देने के लिए जारी डेथ वारंट पर अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी। साथ ही आदेश की प्रति दोषियों के वकील और जेल अधिकारियों को मुहैया करा दिया। अदालत ने जेल प्रशासन को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने और शनिवार को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

अदालत ने डेथ वारंट जारी कर निर्भया के गुनहगरों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया।

अदालत दोबारा से आदेश जारी कर फांसी देने के तारीख में बदलाव कर दिया। अदातल ने दोबारा से डेथ वारंट जारी करते हुए सभी दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया।

पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने अपने आदेश में कहा कि यदि किसी एक दोषी ने भी याचिका दाखिल की है तो भी मामले के अन्य सह आरोपियों की भी फांसी स्थगित होगी। इससे पहले तिहाड़ जेल प्रशासन ने अदालत को बताया कि दोषी मुकेश की अब कोई याचिका लंबित नहीं है, राष्ट्रपति से भी उसकी दया याचिका खारिज हो चुकी है, ऐसे में उसे तय समय यानी 1 फरवरी की सुबह छह बजे फांसी दी जा सकती है। हालांकि दोषियों की ओर से अधिवक्ता ए.पी. सिंह ने सरकार के इस दलील का विरोध किया था। दोषी अक्षय, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की ओर से सिंह ने जेल मैनुअल के नियम 836 का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि 'ऐसे मामले में जहां एक से अधिक लोगों को मौत की सजा हुई हो, उसमें दोषियों को तब तक फांसी की सजा नहीं दी गई है जब तक उन्होंने अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ना कर लिया हो। उन्होंने कहा कि किसी भी दोषी को अलग-अलग करके फांसी नहीं दी जा सकती। सिंह ने अदालत को यह भी बताया कि उनके मुवक्किल आतंकवादी नहीं हैं और उनको कानूनी विकल्पों को इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।

अदालत ने इस मामले में दोषियों द्वारा कानूनी दांवपेंच का इस्तेमाल कर फांसी को बार-बार लटकाए जाने पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि 'मौजूदा कानूनी व्यवस्था व प्रक्रिया में दोषी को अपनी बात कह सकता है और किसी भी सभ्य समाज का प्रतीक है। न्यायाधीश ने कहा है कि इस देश की अदालतें किसी भी दोषी, भले ही उसे मौत की सजा क्यों न हुई हो, के साथ किसी भी तरह की भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इससे पहले पीड़िता की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि दोषी कानूनी दांवपेंच का इस्तेमाल कर जानबूझकर फांसी की तारीख को लटका रहा है।

Updated : 1 Feb 2020 5:32 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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