Home > देश > एक साल में प्रदेश में 9 बाघों का शिकार

एक साल में प्रदेश में 9 बाघों का शिकार

मध्यप्रदेश लगातार दूसरे साल भी देश में पहले स्थान पर , कान्हा अभयारण्य में सबसे ज्यादा घटनाएं

एक साल में प्रदेश में 9 बाघों का शिकार
X

मध्य स्वदेश संवाददाता , भोपाल

मध्यप्रदेश बाघों की मौत के मामले में लगातार दूसरे साल भी देश में पहले स्थान पर है। जनवरी 2018 से अब तक प्रदेश में 27 बाघों की मौत हो चुकी है। पिछले साल यह आंकड़ा 28 था, जो देश में सर्वाधिक था। वहीं बाघों की संख्या के मामले में देश में दूसरा स्थान रखने वाली उत्तराखंड सरकार ने स्थिति में सुधार किया है। उत्तराखंड में पिछली बार सालभर में 15 बाघों की मौत हुई थी, जबकि इस बार यह संख्या आठ है। देश में जनवरी 2018 से अब तक 93 बाघों की मौत हो चुकी है। पिछले साल यह आंकड़ा 105 था।

प्रदेश के आला वन अधिकारी दिसंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक चले राष्ट्रीय बाघ आंकलन के संभावित परिणामों में उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इस बार प्रदेश को बाघ राज्य का दर्जा मिल सकता है, लेकिन बाघों की मौत के मामलों को रोकने में नाकाम रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी इस साल 27 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर बाघों की मौत संरक्षित क्षेत्रों में हुई है। इनमें 9 शिकार के मामले भी हैं। इसके अलावा विभाग ने जब्ती के दो मामले दर्ज किए हैं। इनमें बाघ, तेंदुआ और जंगली बिल्ली की खाल जब्त की गई है।

कान्हा अभयारण्य में सबसे ज्यादा घटनाएं

प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में हुई घटनाओं का आकलन करें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध मंडला जिले के कान्हा अभयारण्य में इस साल सबसे ज्यादा आठ बाघों की मौत हुई है। इसके बाद बांधवगढ़ का नंबर आता है। यहां चार बाघों की मौत हुई। इसके अलावा सतपुड़ा बाघ संरक्षित, रातापानी अभयारण्य सहित तमाम सामान्य वनमंडलों में बाघों की मौत हुई हैं। वन विभाग का दावा है कि नौ बाघों की मौत आपसी लड़ाई में हुई है। जबकि पांच बाघों की मौत का कारण विभाग को पता नहीं चल सका है। इधर बीते दिनों सतपुड़ा और भोपाल रेंज में दो बाघों का शिकार हुआ है।

Updated : 1 Jan 2019 9:04 AM GMT
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top