छह दिसम्बर 1992 के बाद भाजपा का भगवा दुर्ग बनी अयोध्या

छह दिसम्बर 1992 के बाद भाजपा का भगवा दुर्ग बनी अयोध्या
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अयोध्या/स्वदेश वेब डेस्क। वर्षों की साधु-संतों के साथ विहिप की फैजाबाद को अयोध्या जिला बनाने की लड़ाई योगी सरकार ने इस दीपोत्सव पर पूरी कर अयोध्या जिला के साथ मंडल को भी अयोध्या कर दिया। वर्षों से भाजपा अयोध्या में जहां भगवान राम ने त्रेेतायुग में जन्म लिया उस स्थान पर रामलला का भव्य मन्दिर बनाने के लिए संघर्षरत है| उधर, संत धर्माचार्यों के साथ हिन्दुत्व को आगे बढ़ाने में लगी विश्व हिन्दू परिषद आन्दोलनरत है। अयोध्या में ही शहीद हुए कारसेवकों के नाम पर उनका मुख्यालय कारसेवकपुरम 06 दिसम्बर 1992 की यादों को ताजा किये हुए है। अयोध्या को राजनीतिक परिदृश्य में भगवा किले के रूप में जाना जाता है।

अयोध्या नाम से विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद वर्ष 1967 में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के बी. किशोर विजयी हुए थे। तब से लेकर अब तक जनसंघ और फिर भाजपा ने अयोध्या से कुल नौ बार जीत हासिल की है। केवल पांच बार ही दूसरी पार्टियों से विधायक सदन तक पहुंच पाए हैं। अभी तक कांग्रेस तीन बार तथा जनता दल और समाजवादी पार्टी एक-एक बार अयोध्या सीट जीत चुकी है। राम मन्दिर निर्माण के लिए हुए विभिन्न आयोजनों के गहरा असर डालने वाले तमाम घटनाक्रमों की गवाह बनी अयोध्या की जनता ने अब तक हुए ज्यादातर चुनावों में भगवा दल को ही चुना है।

आज, गुरुवार छह दिसम्बर को अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के 25 साल पूरे हो गए हैं। 06 दिसम्बर 1992 की उस घटना के बाद अयोध्या पूरी तरह बीजेपी का गढ़ बन गया। वर्ष 1967 में हुए विधानसभा चुनाव में जनसंघ के बी. किशोर ने निर्दलीय प्रत्याशी बी. सिंह को 4,305 मतों से हराया था। वर्ष 1951 से 1977 तक अस्तित्व में रहा जनसंघ संगठन के रूप में राजनीतिक शाखा मानी जाने लगी थी। वर्ष 1977 में यह कांग्रेस शासन का विरोध करने वाले विभिन्न मध्यमार्गी संगठनों में विलीन हो गया, जिसके परिणामस्वरूप जनता पार्टी का गठन हुआ। वर्ष 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ।

वर्ष 1969 के विधानसभा मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस अयोध्या में पहली बार जीती। कांग्रेस के विश्वनाथ कपूर ने भारतीय क्रांति दल के राम नारायण त्रिपाठी को 3,917 मतों से हराया था। वर्ष 1974 में यह सीट फिर भारतीय जनसंघ के खाते में आ गई। उसके बाद 1977 के मध्यावधि चुनाव में यहां से जनता पार्टी के जयशंकर पाण्डेय ने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल कुमार खत्री को हराकर चुनाव में भगवा दुर्ग फतह किया था। उसके बाद वर्ष 1980 में हुए मध्यावधि चुनाव में जनता ने कांग्रेस-इंदिरा के प्रत्याशी रहे डॉ निर्मल खत्री को चुना। वर्ष 1985 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां फिर परचम लहराया और पार्टी प्रत्याशी सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने जनता पार्टी के जयशंकर पाण्डेय को पराजित किया। वर्ष 1989 में भाजपा को यहां से फिर पराजय का सामना करना पड़ा जब, उसके प्रत्याशी लल्लू सिंह को जनता दल के जयशंकर पाण्डेय ने 9,073 मतों से हराया था।

हालांकि छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अयोध्या क्षेत्र भाजपा का गढ़ बन गया और लल्लू सिंह वर्ष 1993, 1996, 2002 और 2007 में यहां से विधायक चुने गए। लल्लू सिंह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद से सांसद बनकर सदन में अयोध्या के विकास की लड़ाई को संसद में लड़ रहे हैं। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में अयोध्या विधानसभा भी आती है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा की लहर के दौरान उसके प्रत्याशी तेज नारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय लल्लू सिंह को पराजित करके भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो गए थे।

वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में वेद प्रकाश गुप्ता द्वारा सपा के तेज नारायण पवन पाण्डेय को परास्त किये जाने के साथ ही अयोध्या सीट पर फिर से भाजपा ने कब्जा कर लिया। देश में नरेन्द्र मोदी और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। योगी सरकार ने अयोध्या को नगर निगम का दर्जा दिया तो अयोध्या की जनता ने प्रथम मेयर के रूप में भाजपा के ऋषिकेश उपाध्याय को चुनाव में यहां विजयी बना दिया| जहां विवादित परिसर है वह रामकोट मोहल्ले में आता है, वहां के पार्षद के रूप में भी भाजपा ने जीत दर्ज की है। अयोध्या के संत धर्माचार्य अब किसी भी कीमत पर राम मन्दिर निर्माण देखना चाहते हैं।

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