प्रदूषण मुक्त होगी अयोध्या नगरी, यूपी सरकार ने अवध विवि के साथ मिलकर बनाया ये खास प्लान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामनगरी को विश्व की सबसे खूबसूरत नगरी बनाना चाहते हैं. केन्द्र सरकार भी इसमें मदद कर रही है.
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अयोध्या/ओम प्रकाश सिंह: अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ राम नगरी को वायु प्रदूषण से मुक्त रखने की तैयारी शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने वायु प्रदूषण मापने के लिए डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग को आर्थिक सहायता मुहैया कराई है. रामजन्मभूमि परिसर के गर्भगृह से लेकर पूरी अयोध्या नगरी में वायु प्रदूषण का मानक समय 'थोड़ा प्रदूषित' की श्रेणी में है. भक्त और भगवान स्वच्छ हवा में सांस लें, इसके लिए योगी सरकार ने उपाय शुरू कर दिये हैं.
पर्यावरण मानकों को ध्यान में रखकर विकास कार्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामनगरी को विश्व की सबसे खूबसूरत नगरी बनाना चाहते हैं. केन्द्र सरकार भी इस कार्य में सभी प्रकार से मदद कर रही है. मंदिर निर्माण के बाद प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए पूरी दुनिया के श्रद्धालु अयोध्या आएगें. अयोध्या धाम की विकास कार्य योजना में रामनगरी को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की भी योजना है. रामायणकालीन सत्ताइस हजार सात सौ बीस वनस्पतियां रामनगरी में रोपित की जाएगीं.
वायु प्रदूषण का मापन करने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग को चुना है.अयोध्या नगर की परिवेशीय गुणता का अनुश्रवण कार्य पिछले छः महीने से डाक्टर विनोद कुमार चौधरी, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर की देख रेख में हो रहा है.
प्रदूषण के घटते बढ़ते स्तर पर रखी जा रही नजर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस कार्य के लिए विश्वविद्यालय को आठ लाख चौसठ हज़ार छः सौ रुपए दिए हैं. इस परियोजना के तहत अयोध्या में दो स्थानों विश्वविद्यालय कैम्पस एवम दिगम्बर अखाड़ा पर सप्ताह में दो दिन 24 घंटे लगातार अनुश्रवण किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट पर प्रिंसिपल इन्वेेेस्टिगेटर केे साथ रिसर्च असिस्टेंट आकांक्षा पटेल, तीन प्रोजेक्ट अस्सिस्टेंट शुभम सिंह , राजकुमार प्रजापति व बृजेश यादव कार्य कर रहे हैं. पूरे प्रोजेक्ट में 104 दिन अनुश्रवण किया जाना है. अनुश्रवण में तीन प्रचालकों का क्रमशः SO2, NO2 और PM10 का विश्लेषण किया जाता हैं. जनवरी और फरवरी महीने में PM10 (धूल कण) की सांद्रता 100-200 ug/m2 की रेंज में पाई गई है, जो कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पेरमिसिबल लिमिट (100ug/m2 ) से ज्यादा है. वायु गुणवत्ता मापन में अयोध्या नगरी अभी थोड़ी प्रदूषित की श्रेणी में है.
अयोध्या में खराब रहा हवा का स्तर
अयोध्या में फरवरी महीने का एयर क्वालिटी इंडेक्स क्रमशः 144/151 रहा है. इस रेंज को मध्यम वर्ग में रखा गया है। इस सांद्रता से लोगो मे सांस लेने की दिक्कत होती है. इससे बुजुर्गो और बच्चो में फेफड़ों और हृदय संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं. इन वायु प्रदूषण कारको के स्रोत, शहर में बढ़ती गाड़ी मोटर, कोयला जलाना , सड़क निर्माण, घर बनाना, अपशिष्ट पदार्थों को खुले में जलाना, और फैक्टरियों से निकलने वाले धुंए है.
पौधे ही प्रदूषण से करेंगे रक्षा
डाक्टर विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि ग्रीन जोन में जाने के लिए बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हर व्यक्ति को बारिश में मौसम में अधिक से अधिक पौधा लगाने का संकल्प लेना होगा. निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें क्योंकि सड़क पर जितनी कम गाड़ियाँ रहेंगी उतना कम प्रदूषण भी होगा. इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को उपयोग जैसे बस, ई रिक्शा, मेट्रो रेल, सीएनजी पब्लिक ट्रांसपोर्ट और सौरऊर्जा चलित उपकरणों के अधिक से अधिक इस्तेमाल से वायु प्रदूषण से बचा जा सकता है.
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बनी कार्ययोजना
उत्तर प्रदेश सरकार ने राम नगरी को वायु प्रदूषण से मुक्त करने की लिए कार्य योजना बना लिया है. जिसके तहत चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग के अंदर रामायण कालीन सत्ताइस हजार सात सौ बीस वनस्पतियां लगाई जाएंगी. वाहनों का प्रदूषण रोकने के लिए राम जन्मभूमि परिसर से बीस किलोमीटर की दूरी पर तीन बड़े वाहन पार्किंग बनाए जा रहे हैं. जहां पर दस हजार से ज्यादा वाहन पार्क किए जा सकते हैं. संपूर्ण राम जन्मभूमि परिसर के इर्द-गिर्द भवनों की ऊंचाई तय कर दी गई है. नए निर्माण अगले आदेश तक नहीं होंगे. वन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि सड़कों के किनारे, नए निर्माण स्थलों पर वृक्षारोपण किया जाए. पुराने वृक्षों पर पानी का छिड़काव भी किया जाएगा. नगरनिगम सड़कों से धूल हटाने का कार्य करेगा.
Swadesh Lucknow
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