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पशुपालन किसानों को वित्‍तीय संकट से उबरने में करती है मदद : उपराष्ट्रपति

पशुपालन किसानों को वित्‍तीय संकट से उबरने में करती है मदद : उपराष्ट्रपति
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नई दिल्ली। उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि मुर्गीपालन, डेयरी या मत्‍स्‍य पालन जैसी विभिन्‍न गतिविधियां अपनाने वाले कृ‍षक परिवारों में आत्‍महत्‍या की घटनाएं नहीं होती। उन्‍होंने कहा कि पशुधन, विपरीत मौसम और फसल नष्‍ट हो जाने की स्थिति में कृ‍षक परिवारों को वित्‍तीय संकट से उबरने में मदद करता है।

तिरुपति के श्री वेंकटेश्‍वर पशु चिकित्‍सा वि‍श्‍वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह के उद्घाटन भाषण में बुधवार को नायडू ने एक अध्ययन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एक टिकाऊ और समावेशी कृषि व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करने के लिए पशुपालन पर ध्‍यान दिया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने पशुधन की उत्‍पादक क्षमता बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एकीकृत खेती को प्रोत्‍साहित करने पर बल दिया।

राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन(एनएसएसओ) के आंकड़ों और अनुमानों का हवाला देते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण भारत में अनुमानित 90.2 मिलियन कृषक परिवार हैं। इनके लिए एक निश्चित आय सुनिश्चित करना हर किसी की प्राथमिक जिम्‍मेदारी होनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए एक स्वस्थ और मजबूत कृषि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण शर्त है। उन्होंने विशेषकर युवाओं से कृषि को आर्थिक रूप से व्यवहारिक और लाभकारी बनाकर उसे एक आकर्षक करियर के रूप में अपनाने के उपाय तलाशने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि कृषि उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्‍पाद में 17 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें से 27 प्रतिशत पशुपालन का और 4.4 प्रतिशत हिस्‍सा डेयरी, पोल्ट्री और मत्‍स्‍य पालन का है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह आंकड़ें हमारी अर्थव्यवस्था में इन क्षेत्रों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को स्‍पष्‍ट करते हैं।

भारत में पशु चिकित्सकों की मांग और आपूर्ति में अंतर पर चिंता व्यक्त करते हुए नायडू ने अधिकारियों से कहा कि वे किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए शैक्षणिक संस्‍थानों में अनुसंधान एवं विकास कार्यों को विस्तार दें और संस्थानों में खाली पदों को जल्‍दी भरने का काम करें। उन्‍होंने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रौद्योगिकी की अंतहीन संभावनाओं का उपयोग करने के लिए सभी पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों और कृषि विश्वविद्यालयों में विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विभाग(आईसीटी) तथा आईटी विभाग हो।

उपराष्‍ट्रपति बाद में विश्‍वविद्यालय का पशु चिकित्‍सा नैदानिक संग्रहालय भी देखने गए और वहां देश में पशु चिकित्‍सा के लिए बेह‍तरीन सेवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए विश्‍वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि यह संग्रहालय पशु चिकित्‍सा के क्षेत्र में अध्‍ययन करने वाले छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं को काफी कुछ सीखने का मौका देगा।

विश्‍वविद्यालय के पशु चिकित्‍सा नैदानिक विभाग के डॉ एन.आर. गोपाल संग्रहालय के मुख्‍य संचालक हैं। संग्रहालय में पशुरोगों के 500 से अधिक नमूनों को 1960 से संरक्षित रखा गया है। संग्रहालय में दुनिया के कई महान वैज्ञानिकों और चिकित्‍सा विज्ञान के क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धियों को भी बखूबी दर्शाया गया है।

Updated : 24 April 2019 3:00 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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