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औरैया: अभेद्य किले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज होने को मचल रही सपा

इस बार इस पद पर सपा ने 10 सदस्य जिता लिए हैं। इस पद पर काबिज होने के लिए उन्हें तीन चार सदस्यों की तोड़फोड़ करनी होगी। यह अलग बात है कि भाजपा और बसपा भी इस चुनाव में कूदने के लिए पूरी तरह से बेताब हैं।

Update: 2021-05-06 11:21 GMT

औरैया: बेशक अभी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए तारीख तय हुई न कोई प्रक्रिया शुरू हुई मगर अभेद्य किले में अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए सपा अभी से मचलने लगी है।

यह नजारा तब देखने को मिला, जब जीते हुए नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को प्रमाण पत्र दिलाने के लिए पार्टी के बड़े नेता खुद जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे थे। इस बार इस पद पर सपा ने 10 सदस्य जिता लिए हैं। इस पद पर काबिज होने के लिए उन्हें तीन चार सदस्यों की तोड़फोड़ करनी होगी। यह अलग बात है कि भाजपा और बसपा भी इस चुनाव में कूदने के लिए पूरी तरह से बेताब हैं।

जिले में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट अनुसूचित जाति सुरक्षित कोटे में है। औरैया में जिला पंचायत सदस्य कुल 23 हैं। अभी हाल में ही संपन्न हुए पंचायत चुनाव की मतगणना के बाद जिला पंचायत सदस्य पद पर सबसे ज्यादा सपा समर्थित प्रत्याशी जीत कर आए हैं, जबकि बसपा और भाजपा के पास 4 4 सीट पहुंची हैं। कुछ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी कब्जा जमाया है। अब जिला पंचायत सदस्य चुने जाने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव होना है।

ऐसे में इस चुनाव की तैयारियां राजनीतिक दलों ने तेज कर दी हैं। हालांकि निर्वाचन कार्यालय की ओर से न तो कोई तारीख तय की गई है और न ही कोई चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई है मगर इस पद पर कब्जा करने के लिए सभी दल मचलने लगे हैं।

सबसे ज्यादा इस पद पर काबिज होने के लिए सपा मचलती नजर आ रही है, क्योंकि इस बार सपा के पाले में 10 सीटें आई हैं और अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए 12 सदस्य होना जरूरी होता है इस तरह से सपा अपने पाले में आई सीटों को मिलाकर कुछ अन्य लोगों की तोड़फोड़ करने की भी तलाश में हैं। ताकि वह फिर से अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा ले। भाजपा बसपा ने भी जोड़-तोड़ शुरू कर दी है।

मालूम हो कि औरैया, इटावा, कन्नौज और मैनपुरी को सपा का किला माना जाता है और जब सूबे में सपा की सरकार होती है तो इन 4 जिलों को विशेष महत्व मिलता है। ऐसे में अपने किले पर कब्जा बनाए रखने के लिए सपा के जिम्मेदार नेता व कार्यकर्ता पूरी जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं।

यहां बता दें की पिछली बार जब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हुआ था तब सपा से राजवीर यादव जिला पंचायत अध्यक्ष बन कर आए थे। हालांकि बाद में सत्ता परिवर्तन के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और भाजपा खेमे से चुनाव लड़े दीपू सिंह ने सपा प्रत्याशी सुधीर उर्फ कल्लू यादव को चुनाव हराकर अध्यक्ष पद भाजपा के पाले में डाल दिया था।

अब एक बार फिर से सपा खोई हुई सीट को वापस लेने की पूरी तैयारियों में लगी हुई है। देखना यह होगा जब अध्यक्ष पद का चुनाव होगा तब सपा इस पद पर काबिज हो पाती है या नहीं। फ़िलहाल हर कोशिश अध्यक्ष पद पाने के लिए सपाइयों द्वारा की जा रही है।

जेल से चुनाव जीते धर्मेंद्र यादव : छात्र जीवन से अपनी राजनीति शुरू करने वाले धर्मेंद्र यादव सपा के फ्रंटल संगठनों में कई पदों पर आसीन रह चुके हैं। वह ऊमर साना गांव से एक बार प्रधान रहे हैं, जबकि अगली बार उनकी माता प्रधान चुनी गई। एक बार फिर उन्होंने इस पद पर कब्जा कर लिया। खास बात यह है कि भाग्यनगर चतुर्थ से सपा प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत सदस्य पद पर धर्मेंद्र यादव चुनाव मैदान में थे। मौजूदा समय में वह जेल में बंद हैं। जेल से ही उन्होंने जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ा। इतना ही नहीं वह जिले में सबसे अधिक मतों से विजयी हुए हैं। बताया गया है कि धर्मेंद्र यादव ने 10,000 से अधिक मत पाकर जीत हासिल की है।

जिलाध्यक्ष को जीत का श्रेय मिल रहा श्रेय : जिला पंचायत सदस्य पद पर सपा समर्थित प्रत्याशियों को मिली अपार जीत का श्रेय सपा के जिला अध्यक्ष राजवीर यादव को मिला है। अधिकतर जीते प्रत्याशी अपनी जीत का श्रेय सपा जिलाध्यक्ष के अलावा पूर्व विधायक प्रदीप यादव, सपा जिला उपाध्यक्ष अवधेश भदौरिया को दे रहे हैं। सपा जिला अध्यक्ष राजवीर यादव ने सभी नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों को बधाई दी है।

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