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अम्बेडकरनगर: डीएम के निरीक्षण में खुली भोजन वितरण की पोल, फंसी लेखपाल की गर्दन

ताजा उदाहरण जिला मुख्यालय पर शुक्रवार देर रात तब सामने आया जब जिलाधिकारी हकीकत जानने गरीबों की बस्तियों में पहुंचे। जिलाधिकारी के सम्मुख जो तथ्य सामने आया वह पूरी तरह चौंकाने वाला था।

Update: 2021-05-29 15:06 GMT

अंबेडकरनगर (घनश्याम भारतीय): कोरोना कर्फ़्यू के दौरान बंद हुए कामकाज के बीच गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा मातहतों की मनमानी का शिकार होकर रह गई। ताजा उदाहरण जिला मुख्यालय पर शुक्रवार देर रात तब सामने आया जब जिलाधिकारी हकीकत जानने गरीबों की बस्तियों में पहुंचे। जिलाधिकारी के सम्मुख जो तथ्य सामने आया वह पूरी तरह चौंकाने वाला था। तमाम लोगों की शिकायत थी कि महीने भर में किसी को एक बार तो किसी को दो बार ही भोजन का पैकेट मिला है। इस पर नाराज डीएम ने संबंधित के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी सैमुअल पॉल एन शुक्रवार देर शाम जिला मुख्यालय के मीरानपुर अकबरपुर स्थित मलिन बस्ती में रह रहे गरीबों की समस्याओं को परखने के लिए पहुंच गए। इस दौरान गरीबों ने सामुहिक रूप से जो शिकायत किया उसे सुनकर स्वयं जिलाधिकारी भी दंग रह गए। गरीबों का कहना था कि कोरोना कर्फ्यू में काम न मिलने से उनके सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। सरकार के भोजनालय से थोड़ी उम्मीद जगी थी लेकिन महीने में एक या दो बार भोजन का पैकेट मिला है। इसके बाद कोई पूछने नहीं आया।

प्रकरण की गम्भीरता भांपते हुए नाराज जिलाधिकारी ने हल्का लेखपाल मुरलीधर के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश संबंधित को दिया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से गरीबों को काम नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उनके पेट की समस्या को देखते हुए भोजन का पैकेट बांटा जा रहा है। इसके पीछे सरकार की मंशा यह है कि कोई गरीब भूखा न सोने पाए। उन्होंने कहा कि भोजन पैकेट वितरण में लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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