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एक इंस्पेक्टर ऐसा जो अब तक बदल चुका प्रदेश के डेढ़ सौ थानों की सूरत

एक इंस्पेक्टर हैं संजय दुबे वह जिस थाने पर पहुंचते हैं उस थाना क्षेत्र के अपराधियों की तो खबर लेते ही है थाना भवनों की सूरत भी बदल देते है।

Update: 2021-04-13 17:16 GMT

देवीपाटन (अतुल अवस्थी: थाने का नाम लेते ही जेहन में पुलिस की वर्दी, अंग्रेजों के जमाने के बने थाने के भवन की जर्जर दीवारें और परिसर में बेतरतीब बिखरा बरामदगी के सामान का चित्र कौंधता है। लेकिन प्रदेश के एक इंस्पेक्टर हैं संजय दुबे वह जिस थाने पर पहुंचते हैं उस थाना क्षेत्र के अपराधियों की तो खबर लेते ही है थाना भवनों की सूरत भी बदल देते है।

वर्तमान में गोंडा जिले के इंटियाथोक कोतवाली में तैनाती है। इटियाथोक थाने की सूरत भी उन्होंने तैनाती के 3 दिन में ही बदल दी। हरा भरा थानाभवन परिसर आने वाले पीड़ितों को काफी हद तक सुकून देता है। इस्पेक्टर संजय अब तक विभिन्न जिलों में जन सहयोग से डेढ़ सौ थाने व चौकियों की सूरत संवार चुके हैं।

हमारे आस-पास ही ऐसे लोग हैं,जिनके संघर्ष की कहानी समाज में सार्थक बदलाव लाती है।जिनका जज्बा एक पीढ़ी के लिए उदाहरण बनता है। हौंसला कई लोगों को सहारा देती है। इसी सोच और जज्बे की मिसाल है गोंडा के इटियाथोक कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर संजय दुबे।

यह कोई बड़े नायक तो नहीं, लेकिन इनके पक्के इरादे किसी भी नायक को पीछे छोड़ दें।इन्होंने अपनी सोंच बदली, तो इन्हें और पुलिस महकमे को देखने और समझने का लोगों का नजरिया भी बदला। नई सोच, बुलंद हौसलों और मजबूत इरादों के दम पर 2018 बैच के पुलिस इंस्पेक्टर संजय कुमार दूबे ने सामाजिक बदलाव को ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया। उन्होंने विभिन्न जनपदों में तैनाती के दौरान न सिर्फ अपराधियों को क्षेत्र छोड़ने या कारागार में पहुंचने पर मजबूर किया बल्कि अपने सकारात्मक सोच व जन सहयोग से थानों का कायाकल्प कराया।

स्वदेश से विशेष बातचीत में इंस्पेक्टर संजय दुबे ने बताया कि बहराइच, गोंडा, लखीमपुर, महाराजगंज, बाराबंकी जिलों में तैनाती के दौरान डेढ़ सौ थाने और चौकियों की सूरत जन सहयोग से बदली गई है। बहराइच जिले में तैनाती के दौरान इंस्पेक्टर संजय ने सर्वाधिक 11 थाना भवनों को संवारते हुए नया लुक प्रदान किया।

आईएसओ द्वारा प्रमाणित हुआ वजीरगंज थाना

बहराइच से गोंडा स्थानांतरण होने पर इस्पेक्टर संजय दुबे को तरबगंज थाने में तैनाती मिली। इंस्पेक्टर ने बताया कि 28 दिन में तरबगंज थाने को संवार दिया गया। इसके बाद वजीरगंज और धानेपुर थाने में तैनाती के दौरान उसकी भी सूरत सवारी गई। इंस्पेक्टर संजय दुबे ने बताया कि नया लुक मिलने के बाद वजीरगंज थाना देवीपाटन मंडल का अग्रणी थाना बन चुका है। 19 मार्च 2020 को इंस्पेक्टर दुबे के निरंतर मेहनत व कर्तव्यनिष्ठा के परिणाम स्वरूप आईएसओ का प्रमाणपत्र भी मिला।

इटियाथोक को भी आईएसओ प्रमाणित कराने की कवायद

इंस्पेक्टर संजय ने बताया कि इटियाथोक थाने में तबादला होने पर यहां भी अन्य थानों की तरह गंदगी, बिखरे सामान और जर्जर भवन मिले। लेकिन जन सहयोग और साथियों की मदद से कोतवाली परिसर में जर्जर भवनों, आरक्षी आवास, प्रभारी निरीक्षक आवास, बाउंड्री वाल, महिला हेल्प डेस्क, आरक्षी किचन स्टोर सहित कोतवाली परिसर को करीने से सजाने व संवारने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

कोतवाली परिसर का आंगन सुगंधित फूलों से महक रहा है। 2200 वर्ग फीट में एक बहुउद्देशीय टीन शेड हाल का निर्माण करवाया गया है। थाना दिवस सहित आगंतुकों के साथ मीटिंग करने के लिए कोई भी हाल परिसर में नहीं था। बहुउद्देशीय टीन शेड हाल निर्माण होने से क्षेत्रीय लोगों के साथ मीटिंग कर सकते हैं।

उन्होंने बताया, कि जल्द ही आईएसओ लखनऊ की टीम कोतवाली पहुंचकर ऑडिट करेगी, उसके बाद उनका प्रयास यही रहेगा कि कोतवाली इटियाथोक को जनसहयोग से आईएसओ प्रमाणित दर्जा मिल सके।

मन में पवित्र संकल्प हो तो हर मनोकामना होती है पूर्ण

मन में पवित्र संकल्प हो तो हर मनोकामना पूर्ण होती है। बचपन से ही विकास और प्रकृति के प्रति लगाव था। ईश्वर ने उस स्थान पर पहुंचाया जहां दोनों का एक साथ किए जा सकते थे। दृढ़ इच्छाशक्ति किया तो हर थाने में कुछ साथी ऐसे मिले जिन्होंने कदम से कदम मिलाया। जनता का सहयोग मिला। तो थाना भवनों की सूरत निखरती चली गई। स्वयं, साथियों व जन सहयोग से अब तक 6 करोड़ से अधिक का बजट थाना भवनों को सवारने पर खर्च हुआ है। उन्होंने कहा कि जनता और खाकी के बीच की दूरियों को कम करने का भी यह एक छोटा सा प्रयास है।-संजय कुमार दूबे (प्रभारी निरीक्षक इंटियाथोक, गोंड


इंस्पेक्टर संजय दुबे सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आईएसओ भी उनकी सकारात्मकता को प्रमाणित कर रहा है। लेकिन विभाग की ओर से अब तक इस इंस्पेक्टर को इस सकारात्मक सोच के लिए कोई भी सम्मान नहीं प्रदान किया गया। हालांकि शौर्य और वीरता के लिए वर्ष भर पूर्व रजत पदक मिल चुका है। लेकिन सकारात्मक सोच के प्रति विभागीय शाबाशी अन्य थानेदारों की सोच को भी परिवर्तित कर सकती है।

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