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गोरखपुर: कोरोना ने मासूमों को किया अनाथ, दुधमुंहे बच्चे ने दी माता-पिता को मुखाग्नि

दंपति की एक साथ मौत के बाद उनका दाह-संस्कार किया गया। दंपति की छह वर्ष की बेटी और डेढ़ वर्ष का बेटा भी संक्रमित है। दुधमुंहे बच्चे से माता-पिता को मुखाग्नि दिलाई गई। यह हृदय विदारक दृश्य देखकर घाट पर मौजूद लोग रो पड़े।

Update: 2021-04-25 16:26 GMT

गोरखपुर: कोरोना ने अबोध बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया। कोरोना से जंग में दंपति को बचाने के लिए एक हफ्ते में 17 लाख रुपये फूंक दिए लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। दंपति की एक साथ मौत के बाद उनका दाह-संस्कार किया गया। दंपति की छह वर्ष की बेटी और डेढ़ वर्ष का बेटा भी संक्रमित है। दुधमुंहे बच्चे से माता-पिता को मुखाग्नि दिलाई गई। यह हृदय विदारक दृश्य देखकर घाट पर मौजूद लोग रो पड़े।

मिली जानकारी के अनुसार शाहपुर क्षेत्र के शताब्दीपुरम कॉलोनी में 37 वर्षीय अजय जायसवाल और उनकी पत्नी 35 वर्षीय अंशिका जायसवाल अपने दोनों बच्चों 6 वर्षीय बेटी गुनगुन और डेढ़ वर्षीय बेटे आनंद साथ रहते थे। 10 दिन पूर्व अजय और अंशिका की तबीयत थोड़ी खराब हुई थी। शुरू में मामूली सर्दी खांसी मानकर अपने स्तर से इलाज किया। दिन-ब-दिन उसकी तबीयत खराब होती जा रही थी।

हालत ज्यादा खराब होने पर दोनों का कोरोना संक्रमण जांच करवाया। जांच में दोनों संक्रमित पाया गया थे। इसके बाद उनकी 6 वर्षीय बेटी गुनगुन और डेढ़ वर्षीय बेटे आनंद की रिपोर्ट भी पॉजीटिव आई। बच्चों की स्थिति सामान्य होने के कारण उन्हें घर पर ही आइसोलेशन में रखा गया था। हालत बिगड़ने पर अजय और अंशिका को राजेन्द्र नगर स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। सीटी स्कैन में उनके सीने में 70 प्रतिशत संक्रमण पाया गया था। जिसके बाद वहां से उन्हें रेफर कर दिया गया था। 20 अप्रैल को छात्र संघ चौराहा के निकट स्थित एक अस्पताल में दाखिल कराया गया वहां भी हालत लगातार बिगड़ती गई।

जांच रिपोर्ट पर परिजनों ने अमेरिका के एक बड़े अस्पताल से भी परामर्श लिया था। स्थिति को गंभीर देखते हुए इलाज में पैसा पानी की तरह बहाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अंशिका ने दोपहर में 12:10 बजे दम तोड़ा तो शाम 7 बजे अजय ने भी अंतिम सांस ली।

दंपति का दाह-संस्कार राजघाट पर हुआ। डेढ़ वर्ष के बेटे आनंद ने माता-पिता की चिता को मुखाग्नि दी। बेटा आनंद खुद भी संक्रमित है। पिता के दाह संस्कार के लिए उसे कोरोना प्रोटोकॉल के तहत राजघाट पर ले जाया गया। एक दुधमुंहे बच्चे द्वारा अपने माता-पिता को मुखाग्नि दिए जाने का हृदय विदारक दृश्य देखकर सभी के आंख नम थे।

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