जयंती विशेष: बंधु सिंह ने हिला दी थी अंग्रेजी सत्ता की चूलें

शहीद बंधू सिंह चौरीचौरा क्षेत्र स्थित डुमरी रियासत के प्रमुख थे। उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूर्वांचल में अंग्रेजी सत्ता के चुल को हिला दिया था।

Update: 2021-05-01 08:19 GMT

गोरखपुर (विनीत कुमार गुप्ता):  मंगल पांडेय को सर्वप्रथम 1857 में स्वतंत्रता आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। शहीद बंधू सिंह को मंगल पांडे का सारथी कहा जाता था। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में 'शहीद बंधू सिंह' का नाम अमर है।

शहीद बंधू सिंह चौरीचौरा क्षेत्र स्थित डुमरी रियासत के प्रमुख थे। उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूर्वांचल में अंग्रेजी सत्ता के चुल को हिला दिया था। बाबू बंधु सिंह का जन्म 1 मई 1833 को डुमरी रियासत मैं हुआ था। अंग्रेज हुकूमत जब बंधु सिंह को फांसी दे रही थी। उस वक्त फांसी का फंदा 7 बार टूटा था। 8वीं बार अंग्रेजी हुकूमत बंधू सिंह को फांसी देने में कामयाब हुई थी।

शहीद बंधू सिंह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नायक थे।बाबू बंधू सिंह ने पूर्वांचल में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को एकजुट कर जमकर मोर्चा लिया था। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों में मंगल पांडेय उत्साह भर रहे थे। तो वहीं दूसरी ओर गोरखपुर और उसके आसपास के हिस्सों में बंधू सिंह स्वतंत्रता संग्राम के प्रति लोगों के मन में जोश भर रहे थे। बंधु सिंह को मंगल पांडे का सारथी माना जाता है। उस समय डुमरी इलाके में जंगल था। यहीं डुमरी रियासत के बाबू बंधू सिंह रहा करते थे। वह नदी के तट पर तरकुल (ताड़) के पेड़ के नीचे पिंडियां स्थापित कर वह देवी की उपासना करते थे। तरकुलहा देवी बंधू सिंह कि इष्ट देवी थी। बंधू सिंह गुरिल्ला लड़ाई में माहिर थे। जब भी कोई अंग्रेज उस जंगल से गुजरता था। बंधू सिंह उसका सर काटकर देवी मां के चरणों में समर्पित कर देते।

अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर फांसी का सजा सुनाया था। 12 अगस्त 1857 को गोरखपुर में अली नगर चौराहा पर सार्वजनिक रूप से फांसी दिया गया। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने उन्हें 7 बार फांसी पर चढ़ाने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुए। इसके बाद बंधू सिंह ने स्वयं देवी माँ का ध्यान करते हुए प्रार्थना किया कि माँ उन्हें जाने दें।

कहते हैं कि बंधू सिंह की प्रार्थना देवी ने सुन ली और आठवीं बार में अंग्रेज उन्हें फांसी पर चढ़ाने में सफल हो सके। वह ‌बरगद का पेड़ आज भी अलीनगर चौक पर मौजूद है। उनके कारनामों से अंग्रेजी हुकूमत थरथर कांपती थी। एक बार बिहार से आ रहे सरकारी खजाने को लूटकर गरीब लोगों में बांट दिया था। उन्होंने एक बार गोरखपुर के कलेक्ट्रेट ऑफिस पर कब्जा कर लिया था। राप्ती नदी के तट पर डेरा डालकर बंधू सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ा दिया थी।

अलीनगर चौक पर जहां बंधू सिंह को फांसी दी गई थी, वहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अगुवाई में बंधू सिंह की प्रतिमा स्थापित की गई है। बंधू सिंह के नाम पर शहर के हाल्सीगंज और मोहद्दीपुर चौक पर नगर निगम द्वारा पार्क की स्थापना की गई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंधू सिंह की 178वीं जयंती पर डाक टिकट जारी किया था। बंधू सिंह के पराक्रम को बच्चों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने कक्षा 6 के पाठ्यक्रम में उनकी वीरगाथा को शामिल किया है।

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