ज्ञानवापी के बाद हिंदुओं को मिला महाभारत कालीन लाक्षागृह, 53 साल बाद आया ऐतिहासिक फ़ैसला

Update: 2024-02-05 12:24 GMT

बागपत। महाभारत कालीन लाक्षागृह पर 53 साल बाद हिन्दुओं को अधिकार मिल गया है। बागपत कोर्ट ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला सुनाया। मुस्लिम पक्ष यहां कब्रिस्तान होने का दावा कर रहा था।  

इस जगह को हिंदू पक्ष शुरुआत से अपना बताता आ रहा है।वहीँ मुस्लिम पक्ष का का दावा है कि यहां उनके बदरुद्दीन नामक संत की मजार थी। इसे बाद में हटा दिया गया। यहां उनका कब्रिस्तान है। इसी विवादित स्थान पर एक सुरंग है। जिसे इतिहासकार पांडव कालीन मानते है। उनका दावा है की लाक्षागृह दहन के समय पांडव इसी सुरंग से निकल कर भागे थे।  यहां खुदाई में भी महाभारत कालीन साक्ष्य मिले है।लाक्षागृह की सबसे पहले साल 1952 में खुदाई शुरू हुई थी।  खुदाई में 4500 वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन मिले थे। इसी काल को महाभारत काल माना जाता है। 2018 में एएसआई ने इस स्थान की बड़े स्तर पर खुदाई शुरू की थी। यहां मानव कंकाल और दूसरे इंसानी अवशेष मिले। यहां विशाल महल की दीवारें और बस्ती भी मिली हैं। 

 इसी जमीन पर गुरुकुल एवं कृष्णदत्त आश्रम चलाने वाले आचार्य का कहना हैं कि कब्र और मुस्लिम विचार तो भारत मे कुछ समय पहले आया, जबकि पहले हजारों सालों से ये जगह पांडवकालीन है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत मानते हुए उनके हक में फैसला सुनाया।  



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