सेवा के लिए धन नहीं अपितु सेवाभावी मन की आवश्यकता : संत प्रणवगिरि

Update: 2019-03-19 17:41 GMT

कल्याणं करोति में नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर का हुआ समापन

मथुरा। सेवा के लिए धन नहीं अपितु सेवाभावी मन की आवश्यकता होती है। सेवा, पूजा, ध्यान, योग इन सब से बड़ा धर्म है। जहाँ निज स्वार्थ, लाभ एवं यश की कामना से रहित सहायता की जाती है, वह सेवा है, इसलिए हर जनमानस को सेवा भाव की प्रेरणा लेकर क्षमतानुसार सेवा करनी चाहिए।

यह विचार परम पूज्य संत प्रणवगिरि महाराज ने मानव सेवा संस्थान के सौजन्य से कल्याणं करोति द्वारा आयोजित नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के समापन समारोह के अवसर पर श्रीजी बाबा नेत्र चिकित्सा संस्थान, गोवर्धन रोड के प्रांगण में व्यक्त किये।

चौधरी अतर सिंह ने कहा की नेत्र ज्योति प्रदान करना पुनीत कार्य है नेत्रों के बिना संसार अंधकार मय हो जाता है। कल्याणं करोति द्वारा किया जा रहा कार्य सराहनीय है। गजेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा की सेवा जो पुण्य है, बड़े भाग्य से मिलता है। कल्याणं करोति बुजुर्गों को नई रोशनी दे रही है बड़ा ही पुनीत कार्य है।

डॉ. रोशनलाल अग्रवाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा की संस्था द्वारा अतुलनीय कार्य है। जो जनमानस के लिए कल्याणकारी कार्य है। वास्तव में जो कार्य समाज अपने हाथ में ले लेता है, वो सफल होते है।

संस्था के महासचिव सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि कल्याणं करोति विगत 37 वर्षों से अन्धता निवारण दिव्यांगजनों की सेवा में तत्परता से लगी है। हम संकल्पित है कि शीध्र ही अत्याधुनिक सुविधाओं वाला नेत्र चिकित्सालय बना पाये जिससे किसी रोगी को मथुरा के बाहर न जाने पड़े। आगे बताया कि नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर में दूर दराज के अंचलों से आये 1226 नेत्र रोगियों ने पंजीकरण कराकर परीक्षण कराया जिसमें से 506 नेत्र रोगियों के ऑपरेशन सम्पन्न किये गये।

इस अवसर पर अजय जौहरी, डॉ. मारूत दत्त बंसल, डॉ. प्रतिभा बंसल, राजेश दीक्षित, चंद्रकांत पुरोहित, राम सनेही आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।  

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