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भदावर घराने की जमीन पर कब्जा

Update: 2018-07-20 05:33 GMT

आगरा। हाईकोर्ट का आदेश है कि तालाबों को कब्जा मुक्त कराया जाए, लेकिन तालाब पर बने कॉलेज पर अभी तक जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं कर सका है। भदावर घराने के तालाब पर फर्जी तरीके से महाविद्यालय खोल दिया गया। पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह ने महाविद्यालय के संचालन पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

पूर्व मंत्री ने पत्रकार वार्ता कर जानकारी दी कि जिस जमीन पर रामानांद कैलाशचंद्र पैंगोरिया महाविद्यालय निर्मित है, उस जमीन का दाखिल खारिज सदर तहसीलदार आगरा के आदेश पर 18 अप्रैल 2011 को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद भी खतौनियों पर निरस्तीकरण का आदेश अंकित हो चुका है। निरस्तीकरण के बाद भी जमीन पर कॉलेज चल रहा है। पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह ने आरोप लगाए हैं कि प्राचीन तालाब नंबर 224 को हड़पने के अभिप्राय से रामानंद आदि भूमाफियाओं ने लेखपाल और तहसीलकर्मियों से मिलकर फर्जी इंद्राज करके जमींदारी समाप्त दिखाकर दौलतिया को सीरदार दर्ज कर दिया था। जबकि सरकार द्वारा इस नंबर की कभी भी जमींदारी समाप्त नहीं की गई। जमींदारी समाप्त करने का अधिकार केवल सरकार को है। लेखपाल और तहसीलकर्मी या जिले के किसी अधिकारी को ये अधिकार नहीं हैं। सिंघाड़े पैदा करने के लिए दौलतिया पुत्र चौथा को ये तालाब दिया गया। भूमाफियाओं ने लेखपाल आदि से मिलकर बैनामा लिखा लिया गया। पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह का कहना है कि महाविद्यालय डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं है तो महाविद्यालय की संबद्धता निरस्तीकरण का आदेश जल्द दे देना चाहिए।

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