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भारतीय वायुसेना की ताकत बना आगरा का एयरबेस

-वर्ष में 13 हजार जवानों को मिलता है प्रशिक्षण

Update: 2019-10-01 15:22 GMT


 



आगरा। भारतीय वायुसेना अपनी वर्षगाठ 8 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम से मनाती चली आ रही है। इसी उपलक्ष्य में भारतीय वायुसेना के आगरा एयरबेस ने भारतीय वायुसेना की 87वीं वर्षगांठ से पहले पत्रकारों को आगरा एयरबेस का भ्रमण कराया। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि आगरा एयरबेस किस तरह खास है। उसके पास क्या-क्या उपलब्धि है।

भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि 1942 में जापान से लड़ने के लिए अमेरिकी विमान इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल सप्लाई और मेंटेनेंस के लिए आया करते थे। उस वक्त इस एयरबेस का नाम आगरा एयरड्रॉप था। आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने देश में 4 अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एयरबेस की स्थापना कराई। इसमें आगरा एयरबेस चैथे विंग के रूप में था। इसके बाद यहां सुविधाओं व तकनीक का विकास हुआ और आज यह एशिया का सबसे विशाल एयरबेस बन चुका है।

आगरा एयरबेस पर आईएल-76, एएन-32, सी-17, सी-124 जहाजों का बेड़ा है। यहां विमान पर अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (अवॉक्स) भी तैनात हैं। इनकी खासियत है कि यह आसमान में 400 किमी दूर तक की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। पाकिस्तान हो या चीन, भारत से ही इनकी हवाई निगरानी की जा रही है। आपातकालीन स्थिति में अगर कभी एयरपोर्ट पर खतरा दिखता है तो अब एक्सप्रेस-वे को लड़ाकू विमानों के उतरने लायक बनाया गया है। यदि किसी वजह से युद्ध के दौरान रनवे बंद हो जाए तो ऐसी स्थिति में विमानों को एक्सप्रेस-वे पर उतारा जा सकेगा। ताकि इसमें फ्यूल और हथियार फिर से लोड किए जा सकें. आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर इसका परीक्षण भी हो चुका है। आगरा एयरबेस में देश का एकमात्र पैराशूट ट्रेनिंग सेंटर (पीटीएस) है। भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका समेत कई देशों के जवान यहां पर पैराशूट की सहायता से विमान से आसमान में कूदने की ट्रेनिंग लेते हैं। मशहूर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने यहां पर पैराट्रूपर बनने की ट्रेनिंग ली थी।

चीफ ट्रेनर विंग कमांडर केवीएस साम्याल ने बताया कि एक साल में करीब 13 हजार जवान यहां प्रशिक्षण के लिए आते हैं। वहीं, सालभर में 50 हजार बार जवान छलांग लगाते हैं। चीफ ट्रेनर विंग कमांडर केवीएस साम्याल बताते हैं कि अब भारतीय जवान 40 हजार फुट की ऊंचाई से विमान से जमीन पर कूद सकते हैं। ये जवान युद्ध के स्थान से 40 किमी दूर विमान से छलांग लगाएंगे. खास बात यह है कि उन्हें रडार नहीं पकड़ सकता है। यही नहीं, रात में इन जवानों को कोई देख भी नहीं सकता है। इनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर, हथियार और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम होता है। यही नहीं आगरा एयरबेस में सुरक्षा की दृष्टि से भी ढेर सारी सुविधाएं हैं. स्टेशन कमांडर के अनुसार आगरा एयरबेस लगातार ऊंचाइयों को छू रहा है। यहां इंटरनेशल लेवल की ट्रेनिंग जवानों को दी जा रही हैं। तकनीकी क्षेत्र में भी हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। 

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