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विश्व रंगमंच दिवस : समाज को प्रेरित करता रंगों से सजा मंच "रंगमंच "

Update: 2020-03-27 02:30 GMT

वेबडेस्क। रंगमंच का अर्थ वह स्थान है, जहां नाटक, नृत्य, खेल आदि कमंचान किया जाता है। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों से मिलकर बनता है। रंगमंच में रंग इसलिए प्रयुक्त होता है की क्योकि दृश्यों को सुन्दर बनाने के लिए छत, दीवारों,मंच आदि को विभिन्न रंगों से सजाया जाता है। मंच इसलिए कहा जाता है क्योकि दर्शकों की सुविधा के लिए रंगमंच का तल फर्श से कुछ ऊँचा रहता। आज विश्व रंगमंच दिवस है, हर साल यह दिवस 27 मार्च को मनाया जाता है।  

 विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना साल 1961 में इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट ने विश्व रंगमंच दिवस के लिए 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस के रूप में कलाकारों को सम्मान देने के लिए उनके कला प्रदर्शन का प्रोत्साहन करने के लिए, विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत की। इस दिन को मनाने का उद्देश्य थियेटर के मूल्य और महत्व को लोगों को समझना है।  

भारत में रंगमंच शुरुआत -

भारत में रंगमंच की शुरुआत आदि काल से मानी जाती है। विद्वानों के अनुसार नाट्यकला का जन्म भारत में  हुआ है, जिसके प्रमाण ऋग्वेद के कतिपय सूत्र यम, पुरुरवा,यमी और उर्वशी के संवादों से मिलता है। कहा जाता है की आदिकाल में लोग इन्ही संवादों के द्वारा नाटक का मंचन करते थे। इन्ही संवादों से प्रेरित होकर आगे चलकर साहित्यकारों एवं कलाकारों ने नाटक और नाट्यकला का विकास किया।  

भारत में नाट्यकला के उद्भव का श्रेय भरत मुनि को जाता है, उन्होंने नाट्यकला में शास्त्रीय संगीत को सम्मिश्रित कर इसे संगीत से सजाया। भरत मुनि ने अपनी रचना नाट्यशास्त्र में नाट्य के विकास क्रम का वर्णन किया है।  उन्होंने नाट्यकला की उत्पत्ति को दैवीय इच्छा का परिणाम बताया है।  उनके अनुसार दुःख रहित सतयुग के समाप्त होने के बाद जब त्रेतायुग का आरंभ हुआ तो सभी देवताओं ने ब्रह्मदेव से मनोरंजन का कोई ऐसा साधन का सृजन करने के लिए कहा जिससे देवता लोग अपना दुःख भूल कर आनन्द क अनुभव कर सकें।  

भारत  में नाट्यकला के विकास में कालिदास का बड़ा योगदान है। उनका प्रसिद्ध महानाट्य मेघदूत,शाकुंतलम है।  जो भारत में आधुनिक नाट्यकला के प्रेरक माने जाते है।  कहा जाता है की कालिदास ने इन दोनों महानाट्य की रचना छत्तीसगढ़ में रामगढ पहाड़ी पर स्थित नाट्यशाला की थी।  इस नाट्यशाला को भारत की पहली आधुनिक नाट्यशाला होने का गौरव भी प्राप्त है।

रंगमंच लोगों को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जिसके माध्यम से कलाकार देश एवं समाज को नै दिशा एवं सन्देश देने का कार्य करते है।  नुक्कड़ नाटक आज इसका सबसे सफल  जीवंत उदाहरण है। स्वतंत्रता संग्राम में भी रंगमंच ने लोगों तक आजादी का संदेश पहुंचाने का सफल कार्य किया था। वर्तमान समय में भी रंगमंच लोगों को प्रेरित करने का निरंतर प्रयास कर रहा है।

भारत के प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार - 

आधुनिक नाट्यकला सिनेमा के कई कलाकारों ने रंगमंच पर कार्य किया है। इसमें -पथ्वीराजकपूर, सोहराब मोदी, गिरीश कर्नाड, नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, अनुपम खेर से लेकर मानव कौल तक कई नाम हैं


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