नई दिल्ली। आज विश्व पर्यावरण दिवस है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में 14 अकेले भारत के हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में दूषित हवा के कारण करीब 12 लाख भारतीयों की असामयिक मौत हो गई थी। दिल्ली में हर साल विषैली धुंध जानलेवा साबित होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे निपटा नहीं जा सकता। चीन-मैक्सिको समेत कई देशों ने प्रदूषण से जंग में कई कदम उठाए हैं जो सफल रहे। भारत इनसे सीख सकता है।
-वाहनों में कन्वर्टर लगे जो विषैली गैस खींच लेते हैं। 'कार के बिना एक दिन' मुहिम चलाई गई और कुछ वाहनों पर सुबह से रात तक पाबंदी लगा दी गई।
-2016 में नॉर्वे वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का पहला देश बना था। इसके तहत पेड़ काटने वाली कंपनियों को सरकारी ठेके नहीं दिए जाते। हरियाली को नुकसान पहुंचाने वाली वस्तुओं का उत्पादन भी प्रतिबंधित है।
-यहां लगभग 70 प्रतिशत शहरी जनता सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करती है। यही वजह है कि यहां के ज्यादातर शहर प्रदूषण से मुक्त हैं।.
-फिलिपींस की संसद ने हाल ही में 'ग्रेजुएशन लिगेसी फॉर द एंवायरमेंट एक्ट' नाम का कानून पारित किया है, जिसके तहत स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए छात्रों को दस पौधे लगाना अनिवार्य है।
डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट
-50 लाख भारतीयों की लंबे समय तक दूषित हवा में रहने से हार्ट अटैक, कैंसर से जान गई
-हर घंटे प्रदूषण के आंकड़े लोगों को बताए जाते हैं
-प्रदूषण फैला तो सरकारों पर भी जुर्माना लगाया गया
-बस-ट्रेन में सफर के लिए किराया घटाया गया
-सड़कों पर कारों की संख्या पर पाबंदी लगाई
-बीजिंग में कोयले से चलने वाले विद्युत संयंत्र बंद किए
-2013 में ही चीन ने एक्शन प्लान लागू किया
-14 करोड़ से अधिक लोग सुरक्षा मानक से 10 गुनी जहरीली सांस लेने को मजबूर