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वोटर चुप, प्रत्याशी लगा रहे जी जान, किसके पक्ष में होगा मतदान

28 नवम्बर को होना है मतदान, 26 को बंद हो जायेगा प्रचार अभियान, उम्मीदवार 16 - 17 घंटे कर रहे मेहनत

Update: 2018-11-23 21:27 GMT

स्वदेश वेब डेस्क। इस बार के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के पास 15 वर्षों में मध्यप्रदेश में उसके द्वारा किये गए कार्यों की बड़ी सूची है तो कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई, किसानों आदि को मुद्दा बना कर मतदाताओं से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही हैं लेकिन इन बार मतदाता की चुप्पी पार्टियों और प्रत्याशियों को परेशान कर रही है। इस बार विभिन्न राजनैतिक परिस्थितियों के कारण किसी को समझ नहीं आ रहा कि ऊंट किस करवट बैठेगा।

ग्वालियर जिले की 6 सीटों में से शहरी क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटों पर निगाह डालेंगे तो यहाँ भाजपा के दो मंत्री ग्वालियर विधानसभा से जयभान सिंह पवैया और ग्वालियर दक्षिण से नारायण सिंह कुशवाह मैदान में हैं तो ग्वालियर पूर्व से संघर्षों के बाद मंत्री माया सिंह की जगह टिकट हासिल करने वाले दो बार के डॉ. पार्षद सतीश सिंह सिकरवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनके विरुद्ध ग्वालियर से कांग्रेस से पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर, ग्वालियर दक्षिण से नया चेहरा प्रवीण पाठक और ग्वालियर पूर्व से पिछला चुनाव हारे मुन्नालाल गोयल को कांग्रेस ने टिकट दिया है। लेकिन इस सीट से भाजपा की बागी पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता भी मैदान में हैं। सभी प्रत्याशी जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। 16 - 17 घंटे बिना रुके जनता के बीच रहकर वोटर को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन वोटर चुप है और वोटर की यही चुप्पी प्रत्याशियों को परेशान कर रही है। अब मतदान में एक सप्ताह भी नहीं बचा। 28 को मतदान होगा और इसके पहले 26 की शाम को 5 बजे प्रचार थम जाएगा।

ग्वालियर विधानसभा में जहाँ जयभान सिंह पवैया को क्षेत्र में कराये गए 1100 करोड़ रुपये के विकास कार्यों पर भरोसा है। जयभान सिंह पवैया सरकार के कल्याणकारी काम भी बता रहे हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर क्षेत्र की समस्या को मुख्य मुद्दा बनाकर जनता की सहानुभूति जुटा रहे हैं। 

ग्वालियर पूर्व विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी डॉ. सतीश सिंह सिकरवार राजनैतिक परिवार से आते हैं, उनके चाचा, भाई विधायक हैं तो पत्नी पार्षद हैं, चुनाव कैसे जीता जाता है ये अच्छी तरह जानते हैं, साथ ही पिछला चुनाव इस सीट से जीतीं मंत्री माया सिंह द्वारा क्षेत्र में कराये गए विकास कार्य भी उनके लिए मददगार साबित हो रहे हैं लेकिन मंत्री का टिकट काटकर टिकट हासिल करने के चलते उन्हें भितरघात का भी डर है और वे संगठन में इसकी शिकायत भी कर चुके हैं, वहीँ कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल क्षेत्र की समस्याओं को मुद्दा बना रहे हैं। व्यापारी वर्ग से आने वाले मुन्नालाल गोयल व्यापारियों के बीच जाकर उन्हें जीएसटी, नोटबंदी की याद दिलाकर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं।

ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। यहाँ मंत्री नारायण सिंह कुशवाह अपने सरल स्वभाव, सहज उपलब्धता से जनता की पसंद बने हुए हैं वे 2003 से लगातार विधायक हैं और मंत्री भी हैं। उन्हें कुशवाह वोटों के साथ सभी समाजों के वोटों पर भरोसा है। हालाँकि उन्हें जनसम्पर्क के दौरान कई जगह जनता के गुस्से का सामना भी करना पड़ा है जो उनके लिए चिंता का विषय बन सकता है। वहीँ कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारे गए नए चेहरे प्रवीण पाठक को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा दी गई एकता की नसीहत को भी कांग्रेसी नहीं मान रहे और कुछ खुलकर तो कुछ चुपचाप अपने ही प्रत्याशी को ही नुक्सान पहुँचा रहे हैं। इनमें पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हैं। जिसके चलते प्रवीण पाठक को भितरघात का डर सता रहा है। उधर भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। महापौर कार्यकाल में कराये गए विकास कार्य और अपनी छवि की जनता के बीच पहचान रखने वाली समीक्षा गुप्ता हर उस दुखती रग पर हाथ रख रहीं है जिनसे उन्हें लाभ हो सकता है, लेकिन विकास की चाबी की हालत पतली है। हर हथकंडे अपनाते हुए वे नारायण सिंह कुशवाह का विरोध करने वालों को भी अपने पक्ष में मोड़ने के लिए प्रयासरत हैं साथ ही कांग्रेस के उन सभी नेताओं से भी उनको साथ देने का भरोसा मिल गया है जो प्रवीण पाठक को टिकट दिए जाने से नाराज हैं। सूत्र बताते हैं कि क्षेत्र के एक कद्दावर कांग्रेस नेता की पूरी टीम ही समीक्षा गुप्ता के साथ काम कर रही है। जिसकी जानकारी सबको है।

सभी नेता अपने- अपने क्षेत्रों में लगातार रैलियां, बड़े नेताओं की सभाएं करा रहे हैं और अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं लेकिन जनता किसके पक्ष में फैसला सुनाएगी ये अभी कह पाना मुश्किल है। जनता चुप है और जनता की यही चुप्पी प्रत्याशियों को परेशान कर रही है।        

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