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टूट गया बंगाल में दीदी का तिलिस्म?

टीएमसी के दो विधायक और 62 पार्षद भाजपा में शामिल होते ही हिल गई ममता की जमीन

Update: 2019-05-29 16:21 GMT

नई दिल्ली। रामायण के प्रमुख पात्र प्रभु श्रीराम ने युद्ध से पहले अगर विभीषण को अपने पाले में न मिलाया होता, तब क्या रावण पर विजय पाना मुमकिन था? नहीं। यह तो उनके दूत हनुमान की दूरदृष्टि का ही कमाल था कि लंका दहन करते-करते वे विभीषण को भी अपने पाले में लाने का काम कर आए थे। पश्चिम बंगाल में ममता दीदी के बुने गए तिलिस्म का तोड़ निकल आया है। इस तिलिस्म की तोड़ के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल में स्वभाव से आक्रामक कैलाश विजयवर्गीय को लगाया। विजयवर्गीय को बंगाल में बार-बार दौरे करने पड़े। इस दौड़ में उन्हें मुकुल राय ऐसे हाथ लगे कि मानो भाजपा के बंगाल की चाभी हाथ लग गई हो। दीदी के गढ़ को भेदने के लिए मुकुल राय विभीषण साबित हुए। मुकुल राय दीदी के राजदार थे। वे दीदी के करीबी होने के साथ-साथ पार्टी के संस्थापक सदस्य भी थे। और जब उन्होंने तृढ़मूल कांग्रेस छोड़ी थी तब वे पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नेता थे। उनके भाजपा में आते ही टीएमसी में मानो भगदड़ मच गई है। चुनाव से पहले रोज कोई न कोई नेता टीएमसी छोड़ता नजर आया। यह घटनाक्रम अभी भी जारी है। मंगलवार को टीएमसी के दो विधायकों और 62 पार्षदों ने भाजपा की सदस्यता ली।

राम-रावण युद्ध के दौरान विभीषण प्रभु श्रीराम को बताते रहे कि किस योद्धा से कैसे निपटना है। फिर राम को अपना काम करना था, जिसे उन्होंने बखूवी किया। पश्चिम बंगाल में मुकुल राय को आगे कर भाजपा ने दीदी के एक से बढ़कर एक गढ़ को ढ़हा दिया। मुकुल राय की महत्वाकांक्षा को भांप कर शाह ने उन्हें चुनाव प्रभारी बना दिया। फिर मुकुल ने टीएमसी के एक हजार तेजतर्रार कार्यकर्ताओं को भाजपा से जोड़ दिया। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 18 सीटें जीतीं, 294 विधानसभा सीटों में से 150 सीटों पर सताधारी टीएमसी को पीछे छोड़ दिया।

कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाल का प्रभार संभालते ही राज्य में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर स्थानीय लोगों का अपार जनसमर्थन हासिल किया। लोगों को लगा कि भाजपा दुख के दिनों में उनके साथ खड़ी हुई है। ऐसे में पार्टी से जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं की भीड़ सी लगने लगी। इस सक्रियता में विजयवर्गीय को एक और शख्सियत हाथ लगी। वह शख्सियत थे दिलीप घोष। दिलीप घोष तब सुर्खियों में आए जब 2016 के विधानसभा चुनाव में 1982 से चुनाव जीतते आ रहे ज्ञान सिंह सोहन पाल को हरा दिया था। चुनाव खत्म होते-होते टीएमसी बुरे दौर में पहुंच गई है। मुकुल राय ने विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन, जिस तरह टीएमसी में भगदड़ मच गई उससे माना जा रहा है कि कहीं चुनाव से पहले ही पार्टी में पतझड़ न आ जाए।

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