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मुरैना से प्रद्युम्न तो भिण्ड से इमरती लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव ?

Update: 2019-01-04 07:40 GMT

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने से उत्साहित कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में सक्रिय होने के संकेत दिए हैं। बीते दिनों दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने जन्मदिन पर क्षेत्रीय नेताओं को संकेत दिए कि वह अंचल में अपनी सक्रियता बढ़ाएं और इसी ऊर्जा के साथ काम करें। कयासों की बात करें तो ग्वालियर के विधायक व मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर मुरैना और डबरा विधायक व मंत्री इमरती देवी भिण्ड संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। इमरती देवी पिछला चुनाव भी यहीं से लड़ीं थी, लेकिन भारी अंतर से हार गईं। मुरैना तोमर बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से तोमर को यहां से चुनाव लड़ाया जा सकता है।

इमरती देवी डबरा आरक्षित सीट से विधानसभा चुनाव 57 हजार के भारी अंतर से जीती हैं और उन्हें मंत्री बनाया गया है। भिण्ड-दतिया संसदीय क्षेत्र भी आरक्षित है। यहां पर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और पांच में से तीन सीटें अपने कब्जे में की। इसलिए पार्टी इमरती देवी को यहां से चुनाव लड़वा सकती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से मौजूदा भाजपा सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद को प्रत्याशी बनाया था। ऐनवक्त पर भाजपा ने ऐसी चाल चली और उन्हें अपने पाले में लाकर चुनाव लड़वाया और वह चुनाव जीत गए। कांग्रेस को बाहर से प्रत्याशी लाना पड़ा और डबरा विधायक इमरती देवी को चुनाव लड़वाया, लेकिन वह करीब डेढ़ लाख के भारी अंतर से डॉ. भागीरथ से चुनाव हार गईं। चूंकि इस बार वह करीब 57 हजार मतों से विधानसभा चुनाव जीती हैं, इसलिए कांग्रेस पार्टी उन्हें यहां से लोकसभा चुनाव लड़वाने पर विचार कर रही है। वह भांडेर की रहने वाली हैं, इसलिए इसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है। 2014 में मुरैना संसदीय क्षेत्र से बाहर के प्रत्याशी डॉ. गोविन्द सिंह को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह भाजपा के अनूप मिश्रा से चुनाव हार गए थे। चूंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस बार सभी छह सीटें अपने कब्जे में की हैं, जिससे पार्टी उत्साहित है। इसलिए यहां पार्टी किसी ठाकुर प्रत्याशी को फिर से चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है। चूंकि कुछ विधानसभाएं तोमर बाहुल्य हैं, इस समीकरण का लाभ पार्टी उठाने के बारे में सोच रही है। यहां से पार्टी प्रद्युम्न सिंह तोमर को कांग्रेस प्रत्यााशी बना सकती है। वह मुरैना के पोरसा के रहने वाले हैं। ऐसे में उनका नाम पहले नंबर पर माना जा रहा है। ग्वालियर विधायक श्री तोमर ने भाजपा के मंत्री जयभान सिंह पवैया को करीब 21 हजार मतों से हराया है, इसलिए पार्टी उनके नाम पर विचार कर सकती है। जिस तरीके से सिंधिया ने पिछले दिनों जन्मदिन पर संकेत दिए हैं, उससे इन दोनों नामों की चर्चा अधिक तेज हो गई है। यह दोनों नेता सिंधिया गुट से हैं, इसलिए इनकी संभावना अधिक लग रही है। हालांकि मुरैना से विधायक रघुराजसिंह तोमर भी क्षत्रिय वर्ग से आते हैं इसलिए पार्टी इन्हें भी चुनाव मैदान में उतार सकती है।

दोनों को मिल सकता है बड़ी जीत का तोहफा

विधानसभा चुनाव में अंचल की जिम्मेदारी सबसे अधिक सिंधिया के कंधे पर थी और उनके ज्यादातर समर्थक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा से इमरती देवी ने तो रिकार्ड 57 हजार मतों से जीत दर्ज की। जबकि प्रद्युम्न सिंह ने भी करीब 21 हजार मतों से जयभानसिंह पवैया को हराया है। इसलिए सिंधिया खेमे के इन दोनों नेताओं को मंत्री बनाया गया और उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाकर पार्टी बड़ी जीत का तोहफा दे सकती है। सूत्रों की मानें तो सिंधिया ने इन दोनों नेताओं को अभी से क्षेत्र में सक्रिय रहने के भी निर्देश दिए हैं। मंत्री बनने के बाद प्रद्युम्न सिंह अपने गांव पोरसा भी पहुंचे और वहां पर एक-दो दिन रहकर रणनीति भी बनाई।

जीते तो दो विधायक हो जाएंगे कम

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 114 सीटें जीतीं थी और सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 116 था, लेकिन निर्दलियों, सपा व बसपा के समर्थन से कांग्रेस ने सरकार बना ली। यदि यह दोनों विधायक लोकसभा चुनाव जीत गए, तो दोनों विधानसभा की सीटें खाली हो जाएंगी। ऐसे में दोनों सीटों पर उप-चुनाव होंगे और पार्टी के सामने संकट खड़ा हो सकता है। चूंकि यह दोनों नेता बड़े अंतर से जीते हैं, इसलिए पार्टी इन पर दांव खेल सकती है। पार्टी को यह उम्मीद है कि यहां से किसी अन्य नेता को उप चुनाव लड़वाकर यह सीटें आसानी से जीती जा सकती हैं। 

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