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करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान की नापाक नीयत

Update: 2019-11-01 12:39 GMT

वेब डेस्क/रामानुज। करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान की नापाक नीयत देखने को मिली। एक प्रेस कान्फ्रेंस में गुरुद्वारा नानक साहिब में मत्था टेकने आने वाले सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान के विदेशमंत्री का 'खालिस्तानी' कहना बहुत कुछ इंगित करता है। पाकिस्तान सांप्रदायिक सौहार्द और दोनों देशों के बीच आपसी रिश्तों को सुधारने तथा भाईचारे को बढ़ाने का भले ही दावा कर रहा हो, लेकिन यह उसका केवल दिखावा है। हमें उसके कहने के मतलब को गहराई से समझना होगा। यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान का अब तक क्या चरित्र, चेहरा और चाल रही है। दरअसल, वह इस पवित्र आयोजन के तीर से कई निशाने लगाने की साजिश कर रहा है। पाकिस्तानी विदेशमंत्री ने यों ही सिख श्रद्धालुओं को 'खालिस्तानी' और उनका जोरदार तरीके से स्वागत कर यात्रा को यादगार बनाने की बात नहीं कही है। असलियत में वह दुनियाभर के लोगों को दिखाना चाहता है कि पाकिस्तान तो हमेशा ही अपने पड़ोसियों से शांति और सद्भाव कायम रखना चाहता है। इसका कारण पाकिस्तान का कोई हृदय परिवर्तन होना नहीं है बल्कि उसका अपना स्वार्थ और आईएसआई का शातिर दिमाग काम कर रहा है।

पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी का करतारपुर कॉरिडोर को लेकर कुछ दिनों पहले खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला के साथ मीडिया से मुखातिब होना और सिख श्रद्धालुओं को खालिस्तानी बोलना तथा उनका जोरदार तरीके से स्वागत-सत्कार करने की बात कहना बहुत कुछ दर्शाता है। खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला को गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर हो रहे आयोजनों का पाकिस्तान की ओर से अगुवा बनाए जाने को समझना बहुत मुश्किल नहीं है। वह चावला के जरिये सिखों से मेल-जोल बढ़ाने और अपने 'मकसद' को पाने का पुख्ता रास्ता तैयार करना चाह रहा है। ताकि, सिखों की भावनाओं-संवेदनाओं को उभारकर पंजाब में फिर से आतंक की फसल बो सके। यानी, वह इस कथित सदभाव, शांति और भाईचारे की आड़ में पंजाब के रास्ते भारत को फिर से दहलाने के मंसूबे बना रहा है। तभी तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी गोपाल चावला के साथ इस पवित्र अवसर पर मीडिया से खालिस्तानियों के स्वागत करने की अपील करते हैं। इसे सामान्य तौर पर लेना नासमझी होगी। हमें इसमें छिपी हकीकत और उसकी मंशा को समझना होगा। क्योंकि, जब-जब रिश्तों में सुधार के लिए भारत की तरफ से ठोस प्रयास हुए हैं, तब-तब पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपा है। अब उसका करतारपुर कॉरिडोर को लेकर सहज होना हजम नहीं हो पा रहा है।

एक तरफ तो वह अपने देश में आतंकवादी शिविरों का संचालन करता है। दूसरी ओर, आतंक की फसल बोने वाले हाफिज सईद तथा अजहर मसूद जैसे उसके आतंकी आका आतंकियों को पाल-पोसकर भारत को दहलाने को आतुर रहते हैं। अब तो उन्होंने लश्कर-ए-तैय्यबा का एक नया संगठन बनाया है। इस नए संगठन का नाम ऑल इंडिया लश्कर ए तैय्यबा है। इसकी हिटलिस्ट में भारत के कई बड़े राजनेता, अधिकारी और एक बड़े क्रिकेटर का नाम शामिल है। इससे पाकिस्तान के मंसूबों को समझा जा सकता है कि वह क्या करना चाहता है। दूसरी तरफ वह आपसी सौहार्द और भाईचारे की बातें करता है।

यदि मान भी लिया जाए कि पाकिस्तान इमरान के नेतृत्व में अधिक उदारवादी हो गया है। वह सदभाव और आपसी भाईचारे के साथ पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार रखना चाहता है तो फिर वह करतापुर साहिब जाने वाले सिख श्रद्धालुओं से दो सौ अमेरिकी डॉलर शुल्क वसूलने पर क्यों अमादा है? वह क्यों इस जजिया टैक्स को लेने पर टस से मस नहीं हो रहा है। भारत सरकार के बार-बार के आग्रह और अपील के बाद भी वह इस फीस को लेने पर अडिग है। वह आखिर सिख श्रद्धालुओं से मनमाना जजिया टैक्स क्यों लेना चाहता है? पाकिस्तान ने अब तक करतारपुर कॉरिडोर के मार्ग का भी मुकम्मल निर्माण नहीं किया है। भारतीय लैंड पोर्ट अथॉरिटी के चेयरमैन और गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से निर्माण कार्य की गति काफी धीमी है। भारत की ओर से साफ देखा जा सकता है कि भारत को फोरलेन हाईवे से जोड़ने वाली पाकिस्तान की सड़क और पुल का निर्माण अब तक नहीं किया गया है। हालांकि पाकिस्तान की ओर से आश्वस्त किया गया है कि वह समय के अंदर इसका निर्माण कर लेगा। गोविंद मोहन ने कहा कि जीरो प्वाइंट तक पाकिस्तान की ओर से पुल का निर्माण नहीं होने पर श्रद्धालुओं के लिए सूखे दरिया के बीच एक वैकल्पिक सड़क बनाई गई है। पाकिस्तान की ओर से श्रद्धालुओं को जीरो प्वाइंट से ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा और वापस भी छोड़ा जाएगा। पाकिस्तान ने यह सुस्ती जम्मू कश्मीर से भारत के अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के बाद से दिखाई है। इसमें उसकी सोच और निहतार्थ को आसानी से समझा जा सकता है। करतारपुर कॉरिडोर और खालिस्तान समर्थक गोपाल चावला को सर्वेसर्वा बनाने के पीछे पाकिस्तान के इरादे को न समझना नादानी होगी। उसकी इस तैयारी के पीछे कोई बड़ी रणनीति और भविष्य की सोच शामिल है।

करतारपुर कॉरिडोर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आतिफ माजिद ने बताया है कि पाकिस्तान में नौ नवम्बर को इसका उद्घाटन किया जाएगा। 11 नवम्बर को गुरु नानक देव की जयंती मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में भारत से हर दिन पांच हजार तीर्थयात्री दर्शन के लिए यहां आ सकेंगे। बाद में इस संख्या को बढ़ाकर रोजाना 10 हजार कर दिया जाएगा। माजिद ने कहा कि शरणार्थियों के लिए 152 काउंटर बनाए जाएंगे। जीरो प्वाइंट से 350 मीटर दूर बॉर्डर टर्मिनल बनाए जाएंगे। हम आगंतुकों को बिल्कुल एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मुहैया करवाएंगे।

पंजाब और दुनियाभर के सिख समुदाय को आठ नवम्बर 2019 को खुशियों की नई सौगात मिलने वाली है। यह सौगात सिखों के सबसे बड़े धार्मिक स्थान गुरु नानक देव जी के आश्रम नानक साहिब गुरुद्वारा के दर्शनों की है। इसके लिए वह पिछले सत्तर वर्षों से इंतजार कर रहे थे। इस नए इतिहास और खुशियों की इबारत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करतार कॉरिडोर का आठ नवम्बर को शुभारंभ कर लिखेंगे। 23 अक्टूबर को भारत की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के करतापुर कॉरिडोर को लेकर हुए समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।


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