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लोकसभा चुनाव: कोई भी दल विधायकों पर नहीं खेलेगा दांव

Update: 2019-01-11 07:34 GMT

भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। लोकसभा चुनाव की दुंदभी बजने में कुछ दिनों का ही समय शेष रह गया है, ऐसे में प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस या अन्य कोई राजनीतिक दल मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए अपने किसी भी विधायक को उम्मीदवार नहीं बनायेंगे। इन राजनीतिक दलों के लिए भले ही लोकसभा चुनाव राज्य सरकारों की तुलना में महत्वपूर्ण हों, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में सभी राजनैतिक दलों द्वारा अपने विधायकों को मैदान में न उतारने का फैसला लगभग कर लिया है। इसकी वजह है विधानसभा में भाजपा व कांग्रेस का अंकगणित। दरअसल इस बार कांग्रेस व भाजपा दोनो दलों के सदस्यों की संख्या बहुमत के करीब हैं। वर्तमान में कांग्रेस के 114 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 109 विधायकों ने जीत दर्ज की है। सत्ता के समीकरण का संतुलन कुछ इस प्रकार का बना है कि कुछ विधायक ही सरकार का भविष्य बना और बिगाड़ सकते हैं। कांग्रेस को सरकार बनाए रखने के लिए एक विधायक की कमी भी नुकसान पहुंचा सकती है। वहीं, भाजपा को सत्ता में आने की उम्मीद जीवित रखने के लिए विधायकों पर दांव लगाने का जोखिम भारी पड़ सकता है। वह भी तब जब कि आमतौर पर यह देखा जाता है कि उपचुनाव में वही पार्टी जीत हासिल करती है जिसकी प्रदेश में सरकार हो। यही कारण है कि विधायकों को लोकसभा उम्मीदवार बनाने के बारे में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने कोई भी जोखिम उठाने की अपेक्षा नये उम्मीदवारों पर ही लोकसभा चुनाव में दांव खेलने में ज्यादा फायदा समझा है।

कांग्रेस की 25 सीटों पर जीत का लक्ष्य

मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने कम से कम 25 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कांग्रेस प्रदेश में सरकार बनाने के बाद अब पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव पर लगा रही है। यही वजह है कि पार्टी ने अब संगठन में और कसावट लाना शुरू कर दिया है। इसके तहत निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाने की तैयारी कर विधानसभा चुनाव में सक्रिय रहे नेताओं को कुर्सी देने की तैयारी भी कांग्रेस ने कर ली है। जो विधायक मंत्री न बनने से नाराज हैं उनको निगम-मंडल में जगह देकर खुश करने की तैयारी की जा रही है। कांग्रेस अपने हर नेता को काम पर लगाने की योजना बना रही है। जल्द ही बैठक कर नेताओं को काम भी बांट दिए जाएंगे। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सौ दिन का एक्शन प्लान बनाया है। हर मंत्री से 100 दिन की कार्ययोजना मांगी गई है। इसमें वे काम प्राथमिकता से पूरे करने को कहा गया है, जो सीधे लोगों से जुड़े हैं। किसानों की कर्ज माफी को बड़ा मुद्दा बनाकर गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा। इस विधानसभा चुनाव में हारे दिग्गज नेताओं को भी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने पर विचार किया जा रहा है।

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