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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन पोस्टों की ये है सच्चाई, एमिटी फेक न्यूज डिटेक्शन सेंटर की पड़ताल

Update: 2020-04-04 14:47 GMT

ग्वालियर।  कोरोना संकट के कारण देश भर में लागू किये लॉकडाउन के बीच सोशल मीडिया पर कई फेक मैसेजस और न्यूज वायरल हो रहें है। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले फेक न्यूज और मेसेजस की पड़ताल करने का कार्य शहर की एमिटी यूनिवर्सिटी के बैनर तले स्थापित  Centre for Detection of Fake News and Disinformation ने शुरू किया है।  इस संस्थान के अध्यक्ष डॉ सुमित नरूला है जोकि एमिटी विश्विद्यालय के एमिटी स्कूल ऑफ़ मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के एचओडी भी है। 


डॉ सुमित नरूला को Google News initiative  की  ओर से फेक न्यूज जांचने का प्रशिक्षण सिंगापुर में दिया गया है। उन्होंने पिछले साल दिसंबर 2019 में इसका प्रशिक्षण लिया है। सोशल साइट्स पर फेक मेसेजस की पड़ताल करने के लिए दिये गए इस प्रशिक्षण में भारत से डॉ सुमित नरूला का चयन किया गया था। 

डॉ नरूला ने बताया की प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने एमिटी विश्विद्यालय में Centre for Detection of Fake News and Disinformation की स्थापना की है। यह सेंटर सोश; मीडिया पर वायरल होने वाली पोस्ट, मेसेजस और न्यूज की सत्यता की जाँच करती है। उन्होंने बताया की उनके साथ उनके पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के बैचलर एवं मास्टर्स के स्टूडेंट्स इस कार्य में सहयोग करते है। डॉ नरूला ने सिंगापुर से प्रशिक्षण लेने के बाद हाल ही में ग्वालियर पुलिस को भी फेक न्यूज की पड़ताल करने का प्रशिक्षण दिया है। इस प्राशिक्षण के दौरान उन्होंने क्राइम ब्रांच की टीम को फेक न्यूज की जाँच में प्रयोग किये जाने वाले सॉफ्टवेयर्स की जानकारी दी है। 

उन्होंने बताया की फेक न्यूज चार प्रकार के होती है। वीडियो न्यूज- जिसे की ओरिजिनल वीडियो के कंटेंट में सॉफ्टवेयर्स के माध्यम से एडिटिंग कर बनाया जाता है। ,दूसरा प्रकार है फोटोज - जिसमें की ओरिजिनल फोटोज को क्रॉप अथवा मॉर्फिंग कर उसे वास्तविकता से अलग कर गलत मेसेज देने के लिए बनाया जाता है। तीसरा प्रकार है ,वॉइस - इस तरह के मेसेजस और न्यूज में आवाज को बदल दिया जाता है।  जैसे की वीडियो किसी और का चलता है और आवाज किसी और की दाल दी जाती है। गलत मैसेज वायरल करने एवं प्रसिद्ध लोगों की  छवि को खराब करने एवं समाज में उनकी ओर से गलत संदेश देने के लिए उपयोग किया जाता है। 

इसके साथ ही उन्होंने हाल ही में  कोरोना वायरस एवं लॉकडाउन को लेकर वायरल हुई कुछ फेक न्यूज, पोस्ट्स की पड़ताल अपनी टीम के साथ की है । ऐसे ही फेक पोस्ट जो शायद आपने भी सोशल मीडिया पर देखें होंगे हम आपके साथ शेयर कर रहे है।  

फेक पोस्ट -1 


यह पोस्ट पिछले दिनों वाट्सएप और फेसबुक पर तेजी से वायरल हुई थी।  इस पोस्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नकली लेटर पेड बनाकर उनकी ओर से झूठी अपील कर भ्रामक खबर फैलाने का प्रयास किया गया था। जिसमें घर से बाहर  निकलने पर गोली मारने का आदेश दिया गया था। मप्र जनसम्पर्क विभाग ने इसे संज्ञान में लेते हुए आरोपी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी। इस पोस्ट का वेरिफिकेशन भी डॉ नरूला की टीम ने 

फेक न्यूज -2 :  

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इस पोस्ट में लोगों को  जानकारी दी जा रही थी सरकार द्वारा सभी राज्यों में सेनिटाइजेशन किया जायेगा।  लेकिन वास्तबविकता में किसी भी सरकार द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया था।  नाही ,किसी राज्य में हेलीकोप्टर से छिड़काव और सेनिटाइजेशन अब तक किया गया है।  

फेक न्यूज -3 : 

"भाइयों काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से कोरोना वायरस की दवा मिली है, हम लोग कोरोना वायरस की दवा ना जाने कहां-कहां ढूंढते रहे लेकिन कोरोना वायरस की दवा इंटरमीडिएट की जन्तु विज्ञान की किताब में दी गई है जिस वैज्ञानिक ने इस बीमारी के बारे में लिखा है उसने ही इसके इलाज के बारे में भी लिखा है और यह कोई नई बीमारी नहीं है इसके बारे में तो पहले से ही इंटरमीडिएट की किताब में बताया गया है साथ में इलाज भी। कभी-कभी ऐसा होता है कि डॉक्टर और वैज्ञानिक बड़ी-बड़ी किताबों के चक्कर में छोटे लेवल की किताबों पर ध्यान नहीं देते और यहां ऐसा ही हुआ है।(किताब- जन्तु विज्ञान, लेखक- डॉ रमेश गुप्ता, पेज नं-1072)" 

इस पोस्ट में बताया गया था की कोरोना वायरस की दवा मिल गई है। जिस किताब में इस बीमारी की दवा के मिलने का जिक्र है। वास्तविकता में डॉ रमेश गुप्ता के नाम से जंतु विज्ञान की कोई मार्किट में उपलब्ध ही नहीं है।  

डॉ नरूला ने कहा की देश में चल रहे लॉकडाउन के दौरान इसी प्रकार के कई मैसेजस और न्यूज सोशल साइट्स पर वायरल हो रहीं है।  जिससे की सभी को सावधान रहने की जरुरत है। यदि आपके पास भी इसी प्रकार का कोई मैसेज आता है तो उसे सत्य मानकर परेशान ना हो बल्कि उसकी सत्यता की जाँच करें। उन्होंने बताया की ऐसे कई सॉफ्टवेयर्स और वेबसाइट्स है जिनके माध्यम से आप अपने कम्प्यूटर एवं मोबाईल से मैसेजस की वास्तविकता को जान सकते हैं। यह सॉफ्टवेयर्स ओर वेबसाइट्स है - : Tineye.com, Reveye.com,  Forensically.com, exif.regex.info., Fotoforensics.com, images.google.com है।  

 इन सॉफ्टवेयर्स पर जाकर आप जिस पोस्ट की जांच करना चाहते है, उसे अपलोड ऑप्शन पर क्लीक कर अपलोड करना चाहिए। इसके बाद वेरिफिकेशन ऑप्शन पर क्लिक करते ही इसका वास्तविकता का परिणाम कुछ पल में आपको मिल जायेगा।  

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