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जानिये सुरक्षा की दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019

Update: 2019-12-04 06:02 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के बाद अब केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को संशोधन की तैयारी में जुट गई है। इससे नागरिकता संबंधी कानूनों में बदलाव होगा। ऐसे में यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि नागरिकता संशोधन विधेयक दरअसल है क्या। इस विधेयक के जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाइयों के लिए बिना वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

बता दें कि भारत की नागरिकता के लिए 11 साल देश में निवास करना जरूरी है लेकिन इस संशोधन के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि को घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। बिल में इस खास संशोधन को देश के अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के सरकार के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट धार्मिक आधार पर नागरिकता देने को लेकर इसका विरोध कर रहे हैं। दरअसल इस सोशोधन को 1985 के असम करार का उल्लंघ्न बताया जा रहा है जिसमें साल 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी धर्मों के नागरिकों को निर्वासित करने की बात कही गई थी।   

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