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निरक्षरता को खत्म करने के लिए मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस

Update: 2018-09-08 09:30 GMT

नई दिल्ली। आज 52 वां "अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस" सम्पूर्ण विश्व में मनाया जा रहा है। विश्व में शिक्षा और साक्षरता की जागरूकता फैलाने के लिए इसे हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस दिवस को आखिर शुरू कब और क्यों किया गया था और इसे कब से मनाया जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास और इससे जुडी मुख्य जानकारियां 

हम आपको बता दें कि निरक्षरता को खत्म करने के लिए 'अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस' मनाने का विचार पहली बार ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान साल 1965 में 8 से 19 सितंबर को चर्चा की गई थी। यूनेस्को ने 14वें जरनल कॉन्फ्रेंस में 17 नवंबर 1965 को 8 सितंबर का दिन "अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस" के रूप में मनाने की घोषणा की थी। पहला "अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस" 8 सितंबर 1966 को मनाया गया था। दुनिया में साक्षरता बढ़ाने के लिए इसे मनाया जाता है। आज भी विश्व में अनेक लोग निरक्षर है। वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 7750 लाख वयस्क अनपढ़ है। हर 5 में से 1 पुरुष निरक्षर है। 2/3 महिलाये अनपढ़ है। पूरी दुनिया में बहुत से बच्चे आज भी स्कूल नही जा रहे है। या तो उनके पास स्कूल नही है या माँ- बाप बच्चो को स्कूल नही भेज रहे है। कई बच्चे छोटी उम्र से पैसा कमाने के लिए जो काम हाथ आता है उसमे लग जाते है। इस दिवस का लक्ष्य हर बच्चो को पढ़ने के लिए स्कूल भेजना है।

विश्व में इस दिवस को मनाने का लक्ष्य सभी लोगो को शिक्षित करना है। बच्चें, वयस्क, महिलाओं और बूढों को साक्षर बनाना ही इसका लक्ष्य है। उनको अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हो, अपने कर्तव्य की समझ हो। जीवन जीने की सही कला पता हो, व्यस्क अपने बच्चों को पढ़ा सके, बच्चो को अच्छी शिक्षा और संस्कार दे सके। साक्षर होकर गरीबी को मिटा सके, बाल मृत्यु को कम कर सकें। अपराध और भ्रष्टाचार खत्म हो। पूरे विश्व में खुशहाली आये।

 

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