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एक दूसरे को पटखनी देने में जुटे कांग्रेसी देख रहे जीत का सपना

विशेष प्रतिनिधि - स्वदेश वेब

Update: 2018-08-10 13:30 GMT
प्रद्युम्न सिंह, सुनील शर्मा , मुन्नालाल और मितेंद्र सिंह कर रहे अलग अलग आंदोलन

ग्वालियर/विशेष प्रतिनिधि, स्वदेश वेब। विधानसभा चुनावों में अब बहुत ज्यादा समय नहीं बचा है। सत्ताधारी भाजपा ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दी है। भाजपा का कार्यकर्ता जहाँ जनता के बीच पहुंचकर प्रदेश सरकार की उपलब्धियां और उसके द्वारा कराये गए जनहितैषी कार्यों को बता रहा है वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद जन आशीर्वाद यात्रा निकालकर जनता का आशीर्वाद लेने निकले हैं। इन सबके बीच कांग्रेस आरोप प्रत्यारोप के बीच ही फंसी है। पार्टी के अंदर ही बिखराब है। नेता एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते। और अलग अलग आंदोलन कर एक दूसरे को मात देने के लिए बिसात बिछाने में मशगूल है।

प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ , नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के सभी विधायक और सांसद सिर्फ शिवराज सिंह सरकार की कमियां निकालने में लगे है। बड़े नेताओं की बातों को आगे बढ़ाते हुए छोटे नेता भी शिवराज सरकार के खिलाफ आँखें तरेर रहे है लेकिन पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी उनके मजबूत इरादों की पोल खुद खोल रही है। ग्वालियर जिले के कांग्रेस नेताओं की बात करें तो यहाँ 99 प्रतिशत कांग्रेसी गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं। लेकिन मजेदार बात ये है कि प्रदेश में कांग्रेस की एकजुटता के कसीदे पढ़ने वाले सिंधिया समर्थक नेता ही एकजुट नहीं है। चुनाव आते ही इनके अंदर छिपी महत्वाकांक्षा जाग उठी है। और हर नेता विधायक बनने का सपना देखने लगा है।

ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहाँ से पूर्व कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर एक बार फिर ताल ठोंककर मैदान में हैं। अपनी आदत के मुताबिक या यूँ कहें दिनचर्या के मुताबिक रोज कहीं ना कही उनका धरना प्रदर्शन रहता है। इस बार भी पिछले कुछ दिनों से उनकी सक्रियता बढ़ गई है। पिछले दिनों 3 अगस्त को मानसिंह चौराहे पर सैकड़ों समर्थकों के साथ गिरफ्तारी देकर और फिर एक दिन बाद फूलबाग पर धरना देकर वे अपने इरादे बता चुके हैं , लेकिन इस बार उन्हें टक्कर देने के लिए मैदान में उनके ही धुर प्रतिद्वंद्वी पार्टी के प्रदेश सचिव  सुनील शर्मा भी मैदान में हैं। वो भी ग्वालियर विधानसभा से दावेदारी पेश कर रहे हैं। प्रद्युम्न के आंदोलन के बाद ही उन्होंने हजीरा चौराहे पर धरना देकर जनता को ये सन्देश देने की कोशिश की, कि वो ही उनके सच्चे हितैषी हैं। खास बात ये है कि ये दोनों नेता इसी विधानसभा में एक ही वार्ड में रहते है, इनके नेता भी एक ही यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया ही है लेकिन दोनों एक दूसरे को फूंटी आँख नहीं सुहाते। और कभी एक दूसरे के आंदोलन में शामिल नहीं होते। यहाँ से अभी उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया विधायक हैं और चुनाव में उनके सामने कौन टिक पायेगा ये समय ही बताएगा।

कांग्रेस के एक और नेता हैं मुन्नालाल गोयल। ये शुरू से ही अपनी अलग कांग्रेस चलाते आये हैं। मुरार क्षेत्र में रहने वाले मुन्नालाल गोयल ग्वालियर पूर्व विधानसभा से टिकट चाहते हैं। और अपने समर्थकों के साथ सक्रियता बढ़ा रहे हैं। वे पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार थे और नगरीय विकास मंत्री माया सिंह से हार गए थे। बीती 6 अगस्त को इन्होने मोतीमहल में जमीन के पट्टे बांटने के नाम पर जनता की भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन किया। यहाँ भी पूरी कांग्रेस नहीं जुटी, गिने चुने नेता ही पहुंचे। बस मुन्ना के लिए खास बात ये रही कि यहाँ जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा जरूर पहुँच गए।

अब बात करते हैं युवा नेता मितेंद्र सिंह की। दिवंगत जिला अध्यक्ष डॉ दर्शन सिंह की मृत्यु के बाद कांग्रेस में आने वाले मितेंद्र सिंह की सक्रियता को देखते हुए पिछले दिनों उन्हें युवक कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। मितेंद्र अपने पिता की तरह ही लगातार आंदोलन करते रहते हैं, लेकिन उनके साथ भी पूरी कांग्रेस खड़ी नहीं रहती। उल्टा कई बार वो वरिष्ठ नेताओं के बीच उलझकर उनको समझाइश देते नजर आते हैं। बीती आठ अगस्त को कांग्रेस कार्यालय में मितेंद्र की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुर्सी पर बैठने के लिए जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा और पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल के बीच हुई खींचतान ने नेताओं की गुटबाजी प्रमाणित कर दी। मितेंद्र 20 अगस्त को एक बड़ा आंदोलन करने वाले हैं। इसमें ये देखने वाली बात होगी कि उन्हें कितने वरिष्ठ कांग्रेसियों का साथ मिलता है।

बहरहाल ये चार पांच नेता तो बानगी भर हैं, जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा भी गुटबाजी से अछूते नहीं हैं। वे कुछ नेताओं के कार्यक्रम में शामिल होते हैं और कुछ नेताओं के आंदोलन में नहीं। जिससे साफ है कि कांग्रेस नेताओं में आपस में ही एकजुटता नहीं है। ऐसे में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा एकजुटता के दावे करना और इसी एकजुटता के बलबूते पर सत्ता पर काबिज हो जाना बेमानी लगता है।      

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