SwadeshSwadesh

कांग्रेस में विद्रोह का खतरा

Update: 2020-03-13 01:45 GMT

कांग्रेस के दिग्गज नेता व कभी गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद मध्य प्रदेश में जहां उठापटक तेज हो गई है, वहीं कांग्रेस में व्याप्त सन्नाटे के बीच आशंका है कि नाराज नेता सिंधिया की राह न पकड़ लें। राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद उनके करीबियों को एक-एक करके जिस तरह निशाना बनाया जा रहा है, उससे लगता है कि वरिष्ठ कांग्रेसी युवा नेताओं को आगे नहीं आने देना चाहते। सिंधिया कभी राहुल गांधी के बेहद करीब दिखते थे। सिंधिया संसद के अंदर और बाहर अपनी हाजिर जवाबी से कांग्रेस की आवाज बनते नजर आ रहे थे। लेकिन राहुल क्या हटे, मानो वे अर्श से फर्श पर आ गए। परिणमतः सिंधिया कांग्रेस का अब अतीत बन चुके हैं।

मध्यप्रदेश की तरह अन्य राज्यों में भी कमोवेश यही स्थिति है, जहां अपने ही अपनों की टांग खिंचाई कर रहे हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत युवा नेता सचिन पायलट को हमेशा उन्नीस साबित करने में ही वक्त जाया करते रहते हैं। खुद के वजूद को बनाए रखने के लिए पायलट लगातार पार्टी के लिए खतरे का सबब बने हुए हैं। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह को रास नहीं आ रहे हैं। सिद्धू से खतरे की आशंका को भांप कैप्टन ने उन्हें पंजाब से तड़ीपार कराया है। महाराष्ट्र में संजय निरूपम और मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के लिए क्या कम मुसीबत बने हुए हैं? सिंधिया की तरह ही पिछले साल हरियाणा के एक युवा नेता अशोक तंवर ने भी बगावत की थी और लगातार अनिर्णय व असमंजस की स्थिति के चलते पार्टी को एक दमदार युवा नेता से हाथ धोना पड़ा था, उस शख्स की भरपाई तो जैसे-तैसे हुडडा के प्रभाव में पूरी कर ली गई पर सिंधिया की भरपाई कैसे होगी, यह सवाल पार्टी व प्रमुख रणनीतिकारों को साल रहा है। वरिष्ठ नेताओं को अब लगने लगा है कि हालात नहीं संभले तो पार्टी में भगदड़ मच सकती है।

सिंधिया के कांग्रेस से अलग होने के बाद राहुल गांधी का बयान बताता है कि वे सांप निकल जाने के बाद अब लकीर पीट रहे हैं। पिछले एक साल से चल रहे नाटक को उन्होंने गंभीरता से क्यों नहीं लिया? सिंधिया के लिए उनके घर के दरवाजे अगर हमेशा खुले रहते थे तो सिंधिया क्यों नहीं उनके घर पहुंच पाए? इसकी सच्चाई सिंधिया और राहुल से ज्यादा कौन जानता होगा? जाहिर है जब मनों में विभेद हो जाता है तो पास के रास्ते भी दूर नजर आने लगते हैं। दूरियां जब बन जाती हैं तो संवाद भी सहज नहीं हो पाता। कांग्रेस नेतृत्व की इस संवादहीनता ने संगठन में एक बड़ी खाई पैदा की है। विद्रोह तो आंतरिक तौर पर काफी दिनों से सुलग रहा था सिंधिया ने तो इसमें चिनगारी भड़काई है। कांग्रेस नेता अब अगर सकते में हैं तो गलत नहीं। आखिर नेतृत्व अभी भी नींद से नहीं जागा तो कुछ ही समय बाद सच्चाई सामने आएगी औत तब पता चलेगा कि यह आशंका निराधार नहीं थी।  

Tags:    

Similar News