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चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए केन्द्र-राज्य सरकार के बीच नरेंद्र सिंह तोमर बने सेतु

गडकरी ने सुझाया खर्च कटौती का फार्मूला

Update: 2019-11-19 10:43 GMT

नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। चंबल एक्सप्रेस-वे की बंद पड़ी फाइल फिर निकल आई है। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच इस एक्सप्रेस-वे को लेकर सेतु की भूमिका में हैं। उनकी पहल पर सोमवार को केन्द्रीय सडक़ परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ मप्र सरकार के अधिकारियों की अहम बैठक हुई, जिसमें चंबल एक्सप्रेस-वे निर्माण का रास्ता बनाए जाने पर चर्चा की गई। यह एक्सप्रेस-वे बनाने का प्रस्ताव सडक़ परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को दिया गया है, जिसमें निर्माण लागत को लेकर राज्य केन्द्र के बीच ऐसा मैकेनिज्म बनाने पर सहमति बनी है, जिससे आर्थिक बोझ के बिना एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा सके। चंबल एक्सप्रेस-वे का प्रस्ताव बहुत पुराना है। तब केन्द्रीय मंत्री तोमर की तरफ से यह एक्सप्रेस-वे बनाने का सुझाव दिया गया था। उस सुझाव पर बात कुछ हद तक आगे बढ़ी थी, लेकिन बाद में फाइल रूक गई थी। अब फिर से उस फाइल की धूल झाड़ी गई है। सूत्र बताते हैं कि तोमर उस एक्सप्रेस-वे को बनवाने को लेकर इसलिए दिलचस्पी ले रहे हैं कि इससे इस पिछले क्षेत्र के विकास का रास्ता बनेगा। 280 किमी लम्बे एक्सप्रेस-वे में 195 किमी का हिस्सा मप्र में है। यह मुरैना से होकर उप्र में जाएगा। चंबल क्षेत्र के लिए यह आर्थिक गलियारा साबित होगा। सोमवार को मप्र सरकार के अधिकारियों के साथ चर्चा में लागत को लेकर विस्तार से बात हुई। सबसे प्रमुख मसला एक्सप्रेस-वे पर आने वाली लागत का है।

राज्य सरकार के पास भी इतना धन नहीं है कि वह एक्सप्रेस-वे का निर्माण अपने दम पर कर सके। केन्द्र सरकार इसे इसलिए नहीं बना रही है, क्योंकि इस एक्सप्रेस-वे से अधिक कमाई नहीं होनी, जिससे लागत निकल सके। लिहाजा, पिछड़े क्षेत्र के विकास को ध्यान में रखते हुए गडकरी इसे बनाने पर सहमत हो गए हैं। सूत्र बताते हैं कि इस एक्सप्रेस-वे में अधिकांश जमीन सरकारी है, इसलिए राज्य सरकार पर धन का बोझ अधिक नहीं पड़ेगा। इसके अलावा निर्माण पर आने वाले खर्च में लागत कम करने का फार्मूला निकाला गया है। इसके लिए एक्सप्रेस-वे को आधुनिक तरीके से बनाने के साथ इसके दोनों तरफ रोड साइड एस्यूनिटी का निर्माण किया जाएगा। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और आवागमन का साधन भी सुगम होगा। इस एक्सप्रेस-वे को आगरा-दिल्ली से जोडऩे पर भी विचार किया गया है, जिससे सडक़ परिवहन में बढ़ोतरी हो सके। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए ऐसा मैकेनिज्म बनाया जाएगा, जिससे लागत का बोझ राज्य और केन्द्र सरकार पर नहीं पड़े। सोमवार की बैठक में केन्द्रीय मंत्री तोमर के अलावा मप्र सरकार के मुख्य सचिव एस.आर मोहंती सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। 

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