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बाटला हाउस एनकाउंटर: 11 साल बाद भी एल-18 फ्लैट में पसरा है सन्नाटा

Update: 2019-09-19 14:30 GMT

नई दिल्ली/ स्वदेश वेब डेस्क। राजधानी के बाटला हाउस इलाके में स्थित फ्लैट नंबर एल-18 में आज के ही दिन 19 सितम्बर को हुए एनकाउंटर के करीब 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। एनकाउंटर के बाद से ही यह फ्लैट बंद है। यहां न तो कोई रहने आया और न ही इसका ताला खोला गया। यहां तक कि इस फ्लैट को कोई खरीदने भी नहीं आया। स्थानीय लोगों से पता चला कि फ्लैट का मालिक भी अब दिल्ली के जामिया नगर इलाका छोड़कर गाजियाबाद में कहीं बस गया है। हालांकि उसके बारें में भी किसी को कोई जानकारी नहीं है। पुलिस भी कुछ नहीं बताती। आलम यह है कि वीरान पड़े इस फ्लैट की कहानी पूछने पर भी लोग बात करने से करताते हैं।

फ्लैट नंबर एल-18 के पास रहने वाले सुहेल अनवर बड़ी मुश्किल से बात करने को तैयार हुए। उन्होंने बताया कि 19 सितम्बर 2008 के घटनाक्रम को याद कर रूह कांप जाती है। उस घटना को कोई याद नहीं करना चाहता, लेकिन बिल्डिंग के पास है। इसलिए वह खौफनाक मंजर चाहते हुए भी नहीं भूलता।

एनकाउंटर वाले फ्लैट से ठीक नीचे की मंजिल पर दो महीने पहले ही रहने के लिए आए व्यक्ति फैसल बट्ट को यह तो पता है कि यहां एनकाउंटर हुआ था, लेकिन वह इसके बारे न तो ज्यादा बात करते हैं और नहीं इसके बारे मे कोई चर्चा सुनने को तैयार हैं। कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले फैसल को इस एनकाउंटर व फ्लैट के बारे में कोई दिलचस्पी नहीं है। इलाके के लोगों से एल-18 के बारे में चर्चा करने पर वे या तो वहां चले जाते हैं या फिर मुंह मोड़ लेते हैं।

13 सितम्बर को हुआ था सीरियल ब्लास्ट

11 साल पहले बाटला एनकाउंटर के ठीक एक सप्ताह पहले 13 सितंबर 2008 को राजधानी के पांच अलग-अलग जगहों पर सीरियल ब्लास्ट हुए थे। दो बम कनॉट प्लेस में फटे थे, दो ग्रेटर कैलाश के एम ब्लॉक में और एक बहुत भीड़भाड़ वाली जगह करोल बाग की गफ्फार मार्केट में। सीरियल ब्लास्ट की इस घटना में करीब 30 लोगों की जान गई थी, जबकि सवा सौ लोग घायल हुए थे।

स्थिति : आतिफ अमीन सहित आईएम के दो आतंकियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया, जबकि अलग-अलग जगहों से करीब 20 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। कुछ अन्य की अब भी तलाश है।

कैसे एल-18 पहुंची पुलिस

दिल्ली में 13 सितम्बर, 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट की जांच में जुटी स्पेशल सेल की टीम तीन मोबाइल नंबर की जांच करते हुए 19 सितम्बर, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में स्थित एक फ्लैट में पहुंची, जहां इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों से मुठभेड़ हुई। इसमें दो संदिग्ध आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए, दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपित ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा मारे गए थे। एनकाउंटर के बाद देशभर से हुई गिरफ्तारी में आईएम के 40 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया।

मोबाइल फोन से मिला था सुराग

दिल्ली धमाकों में शामिल आतंकियों का सुराग पुलिस को में आतंकवादियों के मोबाइल नंबर से मिला। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में बम धमाके हुए थे। गुजरात पुलिस और आईबी ने सेल को आतंकियों द्वारा वहां इस्तेमाल किए गए फोन नंबर के अलावा यह इनपुट भी दिया कि आतंकी दिल्ली में रुके थे इन नंबरों के एनालिसिस के दौरान पुलिस को आतिफ का नंबर मिल गया। इस नंबर से बटला हाऊस के ठिकाने का पता चला। उस ठिकाने पर आतंकियों की मौजूदगी वैरीफाई की गई। यह तय हुआ था कि जैसे ही इस मोबाइल नंबर को इस्तेमाल करने वाला आतंकी बटला हाउस इलाके से बाहर निकलेगा, उसे उठा लेंगे। लेकिन कई दिनों तक वह आतंकी इलाके से बाहर ही नहीं निकला। आतंकी कहीं और बम धमाके न कर दे, इसलिए पकड़ने के लिए उनके ठिकाने पर ही धावा बोला गया। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को मोबाइल फोन के हजारों नंबरों के डाटा को एनालिसिस कर उसमें से आतंकी का नंबर पता लगाने में महारत हासिल थी।

 बात करना नहीं चाहता मोहन चंद शर्मा का परिवार

बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा का परिवार इस बारे में बात नहीं करना चाहता है। परिवार ने साफ कहा कि उस घटना को हम याद तक नहीं करना चाहते। इतना ही नहीं अपना नंबर व पता भी शेयर करने से यह परिवार मना करता है। (हि.स.)

 

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