SwadeshSwadesh

कद्दावर राजनेता के साथ एक "कुशल मैनेजर" भी थे अरुण जेटली

Update: 2019-08-24 14:13 GMT

शनिवार दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर एम्स अस्पताल से जैसे ही खबर आई की जेटली अब इस दुनिया में नहीं रहे तो ऐसा लगा की राजनीति के समंदर से इस चमकती बूँद का धूमिल हो जाना भारतीय राजनीति में किसी संकट से कम नहीं हैं। एक ऐसा नाम जिसकी बहुमुखी प्रतिभा का लोहा भाजपा नेताओं के साथ साथ विपक्षी पार्टियों के नेता भी मानते थे। अपने व्यवहार और काम से सभी के दिल में जगह बनाने वाले जेटली एक संघर्षशील कद्दावर राजनेता, प्रखर वक्ता, कानूनी सलाहकार, अर्थशास्त्री और एक कुशल मैनेजर भी थे।

इन चुनिंदा फैसलों से कुशल प्रबंधन का अंदाजा लगा ही सकते हैं – 

"एक देश-एक कर- जीएसटी"

अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सुधार लाने के लिए "एक देश-एक कर- जीएसटी" का सपना लिए मोदी सरकार इसको प्रभावी रूप से लागू करवाना चाहती थी. एक जुलाई, 2017 को सफलतापूर्वक लागू करवाने वाले जेटली की ही इच्छाशक्ति और प्रतिभा का कमाल था जिन्होंने वित्तमंत्री रहते एक सफल सीईओ की कार्यप्रणाली को अपनाते हुए विषम परिस्थितियों में सभी राज्यों को इसके लिए सहमत कर संसद भवन में भी सहमती बनाई और अलग-अलग 17 कानूनों को मिलाकर इसे पूरे देश में लागू कराया और जीएसटी काउंसिल के जरिये राज्यों को होने वाली समस्याओं का समाधान निकाला. आज केवल एक कर है, और कोई इंटरस्टेट बाधाएं नहीं हैं.

01 जुलाई 2019 को फेसबुक पर "टू इयर्स आफ्टर जीएसटी " नामक ब्लॉग में विश्लेष्ण कर इसके भारतीय अर्थव्यवस्था में मिले परिणाम और प्रभाव का जिक्र किया।

Full View

इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड

लोन नहीं चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के भीतर बकाये की वसूली के लिए जेटली इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड लेकर आए। कॉर्पोरेट घरानों ने राजनीतिक सिंडिकेट के जरिये विधयेक का जमकर विरोध कराया लेकिन जेटली की संघर्षशीलता का ही परिणाम है की इसके लागू होने के बाद से बैंकों और अन्य लेनदारों को दिवालिया कंपनियों से वसूली में मदद मिल रही है।

नोट बंदी

केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अरुण जेटली के ही कार्यकाल में 08 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। इसके बाद पैदा हुई स्थिति को पूर्व वित्तममंत्री जेटली ने बैंकों के साथ आपसी तालमेल बैठाकर, समन्वय कर सुलझाया और नोटबंदी जैसे महत्वपूर्ण कदम को सफल बनाने का प्रयास किया और सफल भी हुए।

डायरेक्ट कैश ट्रांसफर से सब्सिडी स्कीम

देश में अथाह भ्रष्टाचार के बीच लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं में मिलने बाली सब्सिडी उनके हाथ तक नहीं पहुँच पाती थी तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सब्सिडी में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार की रोक थाम के लिए लाभार्थियों को सीधे बैंक अकाउंट में सब्सिडी का पैसा देने की योजना बनाई। इस योजना को मनमोहन कार्यकाल में लागू भी किया गया लेकिन इसके अनुकूल परिणाम नहीं मिले। लेकिन 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद वित्त मंत्रालय अरुण जेटली को दिया गया उन्होंने अपने कुशल प्रबंधन की बदौलत इस योजना को सख्ती से लागू किया। सभी परिवारों खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के उद्देश्य से पहले प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू की। लोगों के घर-घर जाकर बैंक अकाउंट खोले गए। और आज पूरे देश में सभी योजनाओं की जो भी सब्सिडी मिलती है वो अब सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है यह अरुण जेटली के मैनेजमेंट का ही कमाल है। जिन्होंने इस समस्या का हल ढूंढ ही लिया । 

इनका यू हीं चले जाना घर आँगन के साथ राजनीति का आँगन भी सूना हो गया। शत शत नमन । 

Tags:    

Similar News