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सपा विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई के पीछे पड़ी कानपुर पुलिस, मौके से फरार

- पुलिस का सिरदर्द बने विधायक के सरेंडर का करीबियों पर बनाया जा रहा दबाव

Update: 2022-11-23 13:38 GMT

कानपुर। नगर की सीसामऊ विधान सभा से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस रात-दिन दबिश दे रही है। लेकिन पुलिस की दबिश की पहले ही सूचना मिल जाने के कारण वह जगह बदल रहे हैं। पुलिस को सर्विलांस और मुखबिर तंत्र के सहारे विधायक के एक पड़ोसी राज्य में छिपे होने की जानकारी मिली थी। जब पुलिस ने उस स्थान पर छापा मारा तो पहले ही सूचना मिल जाने पर दबिश के आधा घंटे पहले ही विधायक ने वह ठिकाना छोड़ दिया। विधायक पर जाजमऊ डिफेंस कालोनी में महिला का प्लाट कब्जाने, आगजनी और धमकाने का आरोप है।

सपा विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी की तलाश कमिश्नरेट पुलिस को आठ नवंबर से है। नौ नवंबर को सपा विधायक की लोकेशन लखनऊ में सपा मुख्यालय पर मिली थी। इसके बाद उन्नाव व फतेहपुर में उनकी लोकेशन पाई गई। तब से दोनों भाई कहां हैं, इसकी जानकारी पुलिस नहीं जुटा पा रही थी। हालांकि 12 नवंबर को खुफिया जानकारी मिली कि विधायक ने भाई के साथ शहर छोड़ दिया है।

दोनों भाइयों के पड़ोस के गैर भाजपा शासित राज्य में होने की बात सामने आई थी। पुलिस अब दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट ले चुकी है। ऐसे में कमिश्नरेट पुलिस ने बुधवार की रात विधायक के दूसरे राज्य स्थित ठिकाने पर छापा मारा। लेकिन एक बार फिर विधायक ने पुलिस को गच्चा दे दिया। पता चला कि उस ठिकाने को उन्होंने आधा घंटा पहले ही छोड़ा है। इससे पहले भी मुकदमा दर्ज होने के बाद जब पुलिस विधायक के डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर पहुंची थी तब भी पहले से जानाकारी मिल जाने पर वह घर में नहीं मिले।

परेशान कानपुर पुलिस विधायक के सरेन्डर करने का लगातार दबाव बना रही है। इसी लिए उनसे जुड़ा हर मामला जांच के दायरे में लाया गया है। चर्चा तो यहां तक है कि पुराने मामलों के अलावा कोई नया मामला भी पुलिस की जानकारी में है। विधायक को लगातार समाजवादी पार्टी की तरफ से संदेश दिलाने की कोशिश की जा रही है कि अगर उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया तो आगे और कठोर कार्रवाई हो सकती है। पुलिस ने आगजनी की घटना में 55 अज्ञात को तलाश कर रही है। ऐसे में विधायक के करीबी और मददगारों पर भी पुलिस कानूनी शिकंजा कस सकती है। पुलिस के पास साक्ष्य हैं कि फरारी के दौरान बहुत से करीबी लोग विधायक के संपर्क में थे।

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