मोदी–योगी की लहर में भी गौरीगंज फिसला, BJP अब तक खाता नहीं खोल पाई

गौरीगंज विधानसभा में मोदी-योगी की लहर के बावजूद भाजपा अब तक खाता नहीं खोल पाई। 2027 चुनाव में सपा और भाजपा दोनों की साख दांव पर।

Update: 2025-12-16 17:15 GMT

स्वामीनाथ शुक्ल

अमेठी। उत्तर प्रदेश की राजनीति में मोदी और योगी की लहर की अक्सर मिसाल दी जाती है, लेकिन अमेठी जिले की गौरीगंज विधानसभा इस कहानी का अपवाद बनी रही। तमाम चुनावों में मजबूत राष्ट्रवादी माहौल के बावजूद यहां भाजपा अब तक अपना खाता नहीं खोल पाई, जबकि समाजवादी पार्टी ने लगातार अपनी पकड़ बनाए रखी।


तीन बार सपा का कब्जा, अब बदली स्थिति

गौरीगंज सीट पर लगातार तीन बार सपा के विधायक चुने गए। मौजूदा विधायक राकेश सिंह, जिन्होंने मोदी-योगी की लहर में भी सपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी अब पार्टी छोड़ चुके हैं इस बदलाव के बाद सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।एक ऐसा चेहरा ढूंढना जो पार्टी की राजनीतिक विरासत बचा सके।

सपा का मजबूत वोट बैंक

स्थानीय राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि गौरीगंज में सपा का कोर वोट बैंक आज भी मजबूत है । यही वजह रही कि राकेश सिंह हर बार भाजपा के कड़े मुकाबले के बावजूद जीत हासिल करते रहे।

भाजपा और कांग्रेस के चेहरे भी कतार में

सपा सूत्रों के मुताबिक गौरीगंज से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा और कांग्रेस के भी कुछ मजबूत चेहरे सक्रिय हैं इनमें से एक-दो नेताओं की मुलाकात सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी हो चुकी है, जिससे राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं।

2022 का चुनाव: अंदरूनी कलह बनी वजह

2022 के विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार राकेश सिंह भाजपा उम्मीदवार: चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी , राकेश सिंह ने तीसरी बार जीत दर्ज की, जबकि मटियारी दूसरे नंबर पर रहे। भाजपा के भीतर भितरघात को हार की बड़ी वजह माना गया। कहा जाता है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने खुलकर राकेश सिंह का समर्थन किया। उस वक्त अमेठी से सांसद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी थीं, फिर भी अमेठी , गौरीगंज दोनों विधानसभा सीटें सपा के खाते में चली गईं ।

जिले में भाजपा-सपा की मिली-जुली तस्वीर

जहां गौरीगंज और अमेठी सपा के पास रहीं वहीं  तिलोई , जगदीशपुर , सलोन इन सीटों पर भाजपा का कमल खिला । भाजपा की अंदरूनी कलह का असर अमेठी सीट पर भी दिखा, जहां पार्टी उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा। वहीं जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति ने अमेठी से जीत दर्ज की। 

जिला पंचायत से लोकसभा तक सियासी गणित

फिलहाल जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा के राजेश मसाला है पहले यह पद सपा के पास था, लेकिन स्मृति ईरानी की रणनीति से भाजपा ने यह सीट छीन ली. दूसरी ओर, बसपा अमेठी की राजनीति में लगभग हाशिये पर पहुंच चुकी है।  संगठन और नेतृत्व दोनों कमजोर नजर आ रहे हैं। चर्चा है कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले स्मृति ईरानी एक बार फिर अमेठी में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं।

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