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आईपीएस विकास वैभव मेमोरियल अवार्ड से हुए सम्मानित

Update: 2019-11-03 05:15 GMT

बेगूसराय। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की धरती बेगूसराय के लाल ने एक बार फिर नाम रोशन किया। बेगूसराय के बीहट निवासी आईपीएस विकास वैभव को शनिवार रात आईआईटी कानपुर ने सत्येंद्र कुमार दूबे मेमोरियल अवार्ड 2019 से सम्मानित किया है। वैभव ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री आवास के सामने से अवैध गाड़ी को उठवा लेने का साहस दिखाया था।

आईआईटी कानपुर के 60वें स्थापना दिवस सह हीरक जयंती समारोह के अवसर पर उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन विकासमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सम्मानित किया। विकास वैभव को यह पुरस्कार उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को लेकर मिला है। इस सूचना से बिहट और बेगूसराय के लोग गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।

विकास वैभव ने इस सम्मान के लिए आईआईटी कानपुर का आभार जताया है। उन्होंने कहा यह पुरस्कार अपने कर्तव्यनिष्ठ बने रहने का अहसास कराने के साथ जिम्मेदारियों का बोध भी कराएगा। अखंडता के उच्चतम मूल्यों के प्रति जिम्मेदारी की एक गहरी भावना के भीतर भी एम्बेड करती है यह प्रतिनिधित्व करता है। पुलिस का काम केवल बंदूक के सहारे नहीं किया जा सकता है। जनता से बेहतर संबंध बनाए बगैर पुलिसिंग कभी सफल नहीं हो सकती है।

आईआईटी कानपुर प्रत्येक वर्ष देश के किसी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी को सतेंद्र कुमार दूबे मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित करता है। राजद शासनकाल में सड़क निर्माण में रंगदारी नहीं देने के कारण मारे गए इंजीनियर सत्येंद्र कुमार दूबे आईआईटी कानपुर के छात्र रह चुके हैं। दूबे की स्मृति में आईआईटी कानपुर ने 2005 में इस सम्मान की शुरुआत की थी। विकास वैभव आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र हैं। 2001 में आईआईटी से बीटेक की डिग्री लेने के बाद 2003 में आईपीएस चुने गए। एसपी के तौर पर उनकी पहली पोस्टिंग बगहा में हुई थी। बिहार कैडर के आईपीएस विकास वैभव ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान एनआईए में कई मामले सुलझाए हैं। इनमें से एक बिहार के बोध गया मंदिर में आतंकी हमले की साजिश का खुलासा भी शामिल है। आतंकी गतिविधि में शामिल आशिफ भटकल को नेपाल सीमा से गिरफ्तार करने में भी इन्हें कामयाबी मिली। प्रतिनियुक्ति से 2017 में लौटने के बाद से भागलपुर में डीआईजी पद पर तैनात हैं। 

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