राजधानी में सजीं सुरों की महफिल:सुर, संस्कृति और साधना के आलोक में दमका 'हृदय दृश्यम'

Update: 2025-12-06 05:30 GMT

संगीत, कला और विरासत की पवित्र त्रयी को एक ही छत के नीचे एकत्र करने वाला भव्य आयोजन 'हृदय दृश्यम' अपने आठवें संस्करण में एक बार फिर भोपाल की सांस्कृतिक भूमि पर सुरों की वर्षा लेकर आया।

रवीन्द्र भवन का प्रांगण मानो इस शाम किसी अलौकिक ज्योति से आलोकित हो उठा, जब मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस वृहद संगीत समारोह का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन के साथ हुआ। इस पुनीत अवसर पर संस्कृति संचालक एन.पी. नामदेव, समारोह के क्यूरेटर जो अलवारिस, ओमेगा बैंक के प्रबंध संचालक सुशील प्रकाश तथा जहाँनुमा होटल के निदेशक फैज राशिद की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को विशेष महत्ता प्रदान की।

सरोद और तबला की सुरमयी संगत

सुविख्यात सरोद वादक अमान अली बंगश और अयान अली बंगश की उपस्थिति इस बात का संकेत थी कि यह तीन दिवसीय यात्रा संगीत साधना की एक अविस्मरणीय परिक्रमा बनने वाली है। स्वागत उद्बोधन में सुशील प्रकाश ने हृदय दृश्यम के मंच को भारतीय संगीत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का जीवंत सूत्र बताया, वहीं डॉ. पूजा शुक्ला ने सभी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया।

काव्यमय भटियाली धुन ने मधु-भाव भर दिया

प्रथम दिवस की प्रथम संगीत-सभा सरोद की गंभीर, सौम्य और रसाभिव्यक्तिपूर्ण ध्वनियों को समर्पित थी। सेनिया बंगश घराने के युवा ध्रुव तारों की भांति चमकते कलाकार अमान अली बंगश और अयान अली बंगश जब मंच पर उपस्थित हुए, तो वातावरण मानो एक नए संगीत-लोक में परिवर्तित हो गया।

दोनों कलाकारों की तन्मयता, कोमलता और भाव-गर्भित अभिव्यक्ति ने सरोद के तंतुओं को बोलने पर विवश कर दिया, और पूरा सभागार संगीत की दिव्य तरंगों में विलीन हो गया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की सुरभित शुरुआत राग देश से की, एक ऐसा राग जिसकी कोमल मध्यम और वर्षा-सिक्त भावव्याप्ति श्रोताओं के मन में सुकून के दीप जगा देती है। इसके उपरांत राग रागेश्री में सरोद की गंभीरता और मधुरता का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया गया, जिसने श्रोताओं को उस संसार में ले जाया, जहाँ संगीत केवल सुना नहीं जाता, बल्कि अनुभव किया जाता है।

अंत में प्रस्तुत काव्यमय भटियाली धुन ने वातावरण में सहज उल्लास और मधु-भाव भर दिया। तबले पर अशेष उपाध्याय और रामेंद्र सिंह सोलंकी की सधी हुई संगत ने इस प्रस्तुति को पूर्णता प्रदान की।

इसके पश्चात मंच सुशोभित हुआ प्रसिद्ध गायिका मधुवंती बागची की मनोहारी उपस्थिति से। वे अपने सहज, आत्मीय और मधुर अंदाज में मंच पर आईं और 'आई गिरी नंदिनी' के मंगल-स्मरण वातावरण को पवित्रता से भर दिया। उनकी अगली प्रस्तुति 'शायद कभी न कह सकें...' ने श्रोताओं के हृदय में भावनाओं की तरल धारा प्रवाहित कर दी। जब उन्होंने 'रंजिश ही सही...' का आलाप लिया, तो सभागार में संगीत का ऐसा जादू छा गया कि उपस्थित सभी मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद 'ये मोह मोह के धागे', 'तेरी उंगलियों से जा उलझे...' और 'जरा जरा बहकता है, महकता है' जैसे गीतों से उन्होंने कार्यक्रम को उत्कर्ष तक पहुँचाया।

आयोजन के दूसरे दिन, 6 दिसम्बर को ऐतिहासिक जगदीशपुर के चमन महल के अनुपम परिसर में दो भव्य संगीतसभाएँ आयोजित होंगी। सायं 5:30 बजे सुप्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि चारी अपनी सितार साधना का दिव्य स्वर-विन्यास प्रस्तुत करेंगे, तथा रात्रि 8:15 बजे पंडित आदित्य कल्याणपुरकर तबला वादन की लयबद्ध दिव्यता से वातावरण को स्पंदित करेंगे।

साथ ही परिसर में कला-शिल्प और पारंपरिक व्यंजनों का आकर्षक मेला प्रदेश की सांस्कृतिक परंपराओं की सुगंध बिखेरता रहेगा।

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