DIVYA DESHMUKH: दिव्या देशमुख का नागपुर में भव्य स्वागत, 19 की उम्र में चेस वर्ल्ड कप जीतकर रचा इतिहास

Update: 2025-07-31 10:18 GMT

Divya Deshmukh Chess World Cup: जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित चेस वर्ल्ड कप में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली 19 वर्षीय दिव्या देशमुख का बुधवार को नागपुर लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया। जैसे ही वह अपने गृहनगर पहुंचीं, एयरपोर्ट पर उनका रिश्तेदारों, प्रशंसकों और समर्थकों ने फूल-मालाओं और तालियों के साथ भव्य स्वागत किया। दिव्या की इस उपलब्धि पर पूरा शहर गर्व महसूस कर रहा था।

कोनेरू हम्पी को हराकर रचा इतिहास

दिव्या देशमुख ने चेस वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को हराकर खिताब अपने नाम किया। फाइनल में दोनों खिलाड़ियों के बीच दो क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, जिससे मैच टाई-ब्रेकर में पहुंचा। निर्णायक गेम में दिव्या ने बेहतरीन रणनीति के दम पर जीत दर्ज करते हुए ऐतिहासिक खिताब हासिल किया।

ग्रैंडमास्टर टाइटल और कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में मिली जगह

इस शानदार जीत ने दिव्या देशमुख को ग्रैंडमास्टर (GM) का खिताब दिलाया। साथ ही उन्हें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में भी जगह मिल गई है। इसके अलावा उन्होंने 50,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 42 लाख रुपये) की पुरस्कार राशि भी अपने नाम की। दिव्या ने इस टूर्नामेंट में अंडरडॉग के तौर पर हिस्सा लिया था। उनका मकसद सिर्फ GM नॉर्म हासिल करना था, लेकिन उन्होंने उम्मीदों से कहीं बढ़कर प्रदर्शन करते हुए खिताब जीतकर सभी को चौंका दिया।

एयरपोर्ट पर हुआ गर्मजोशी से स्वागत

चेस वर्ल्ड कप जीतने के बाद दिव्या देशमुख अपनी मां के साथ बटुमी से मुंबई होते हुए नागपुर पहुंचीं। एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए प्रशंसकों और रिश्तेदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। दिव्या ने सभी के प्यार और सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा, "मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि इतने लोग मेरा स्वागत करने आए हैं। शतरंज को जो मान-सम्मान मिल रहा है, वह मेरे लिए गर्व की बात है।"





परिवार और दिवंगत कोच को समर्पित की जीत

दिव्या ने इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय अपने परिवार और पहले कोच राहुल जोशी को दिया, जिनका 2020 में 40 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। उन्होंने कहा, "मेरे माता-पिता ने मेरे करियर में सबसे बड़ा योगदान दिया है। उनके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती। मेरी बहन आर्या देशमुख, दादा-दादी और राहुल जोशी सर का हमेशा मार्गदर्शन रहा। यह जीत उनके नाम है।"

इसके साथ ही उन्होंने ग्रैंडमास्टर अभिजीत कुंटे को भी अपनी सफलता का हिस्सा बताया और कहा, "अभिजीत सर मेरे लिए लकी चार्म हैं। जब भी वो मेरे साथ होते हैं, मैं ट्रॉफी जीतती हूं।"

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