महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम से MP की खिलाड़ियों का सफर, बिना आंखों से देखा सपना किया पूरा

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शनिवार को ब्लाइंड वुमन्स टी20 वर्ल्ड कप 2025 की विश्व विजेता भारतीय महिला दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम की मध्यप्रदेश की खिलाड़ियों को सम्मानित किया। जानें इनके संघर्ष की कहानी।

Update: 2025-12-14 13:01 GMT

भोपालः श्रीलंका में आयोजित हुए विमेंस ब्लाइंड क्रिकेट टी20 वर्ल्ड कप में नेपाल को हराकर जब देश ने पहला विश्व कप जीता तो यह केवल एक खेल जीत नहीं थी। यह एक जज्बे संघर्ष और आत्मनिर्भरता की ऐतिहासिक कहानी थी। इस जीत को साकार करने में मध्य प्रदेश की तीन बेटियों सुनीता सराठे (नर्मदापुरम) सुषमा पटेल (दमोह) और दुर्गा येवले (बैतूल)ने अहम भूमिका निभाई। लेकिन इनका जीवन संघर्षों से कम नहीं रहा है। जानिए तीनों के संघर्ष की कहानी।

ब्लाइंड विमेंस टीम की कप्तान

वर्ल्ड कप जिताने वाली ब्लाइंड महिला टीम की खिलाड़ी सुषमा पटेल की कहानी संघर्षों से भरी रही है। वह दमोह जिला से 45 किमी दूर जबेरा तहसील के छोटे से गांव घाना मेली की रहने वाली है। अपने संघर्ष और आत्मविश्वास के दम पर भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कप्तानी का सफर तय किया है।

दिव्यांग होने के बाद भी नहीं कम हुआ जुनून

सुषमा ने दिव्यांग होने के बाद भी अपने क्रिकेट के जुनून को कम नहीं होने दिया है। भले ही उनकी आंखों का विजन कमजोर है पर उनका विजन काफी मजबूत है। इसी के बदौलत वह शानदार क्रिकेट खेलती है और टीम को वर्ल्डकप जिताने में योगदान दिया

ग्रामीण क्षेत्र और क्रिकेट का जुनून

सुषमा, उस बुंदेलखंड से आती है जहां लड़कियों को अक्सर शिक्षा पूरी नहीं लेने दी जाती है। और जल्दी शादी कर दी जाती है। ऐसे में तो क्रिकेट के बारे में सोचना ही दूर की बात थी। लेकिन किसान परिवार में जन्मी इस बेटी को क्रिकेट खेलने का शौक था। यह भी उन्हें अपने भाइयों और पिता से मिला। किसान पिता क्रिकेट के प्रेमी हैं।

आसान नहीं था क्रिकेट खेलने का सफर

बचपन में सुषमा अपने भाइयों के साथ खेतों में लकड़ी के पटिए से क्रिकेट खेलती थीं। पिता ने देखा कि उनकी बेटी को क्रिकेट में गहरी रुचि है तो उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट के बारे में जानकारी जुटाई। हालांकि, क्रिकेट सीखने का सफर आसान नहीं था।

जबलपुर की एकेडमी में महिला खिलाड़ियों के लिए जगह नहीं थी, ऐसे में उन्हें वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। इसी समय बड़ी बहन को भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में ब्लाइंड महिला क्रिकेट का शिविर लगने की जानकारी मिली। सुषमा यहां पहुंची और शानदार प्रदर्शन किया तो एमपी की टीम में उन्हें जगह मिल गई।

बॉल थ्रो से जीत दिलाने वाली सुनीता की कहानी

ब्लाइंड महिला टी20 विश्वकप की विजेता टीम का हिस्सा रही क्रिकेटर सुनीता सराठे नर्मदापुरम के पिपरिया के नया गांव के रहने वाली है। इस विश्व कप दिलाने वाली खिलाड़ी के लिए सब कहते थे कि ये अंधी क्या क्रिकेट खेलेगी।

सुनीता के अनुसार, दृष्टिबाधित को समाज में सब ताना मारते हैं। जब गांव में क्रिकेट खेलती थी तो कहते- अंधी कैसे खेलेगी? यह कैसा क्रिकेट है? जन्म से दृष्टिबाधित खिलाड़ी ने आज इंटरनेशनल लेवल पर भारत का परचम लहरा चुकी है। वह कहती है आज जब हम जीतकर आए हैं तो वही लोग मिठाई बांटकर कह रहे हैं कि लड़की ने कुछ कर दिखाया है।

ब्लाइंट क्रिकेट को कोई नहीं समझता था

लोग नॉर्मल क्रिकेट को बढ़ावा देते हैं, लेकिन ब्लाइंड क्रिकेट को कोई समझ नहीं पता। अब जब जीतकर आए तो अब लोगों को पता चल गया है कि ब्लाइंड क्रिकेट क्या होता है। सुनीता ने बताया कि जब मैं बच्चों के साथ खेलती थी तो मेरे माता-पिता और परिवार के अलावा किसी का सपोर्ट नहीं मिलता था। जब से टी-20 वर्ल्ड कप जीता है तो अब लोग कहते हैं कि खूब खेलो आगे बढ़ो।

मां ने गहने गिरवी रख बदली थी जिंदगी

दुर्गा के भी यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। दुर्गा की शुरूआती पढ़ाई बैतूल के ब्लाइंड स्कूल से हुई। जब उच्च शिक्षा और बेहतर ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजने की जरूरत पड़ी तो आर्थिक स्थिति आड़े आ गई। तब मां ने गहने गिरवी रख दिए ताकि बेटी के सपने ना रुके।

मां के इस त्याग ने किस्मत पलट का काम किया। वहीं, से जिंदगी ने नई दिशा पकड़ी इंदौर में ही वर्ष 2021 में आयोजित एक कैंप के दौरान उनका चयन जिला स्तरीय टीम में हुआ और यही उनकी असली क्रिकेट यात्रा की शुरुआत थी। जिले से राष्ट्रीय स्तर और फिर विश्व कप टीम तक पहुंचने में दुर्गा ने अपनी लगन, अनुशासन और अदम्य इच्छा शक्ति से हर चुनौती को मात दी।

विकेट कीपर की महत्वपूर्ण होती है जिम्मेदारीदुर्गा बताती हैं कि विकेटकीपर के रूप में उनकी जिम्मेदारी सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्हें बी1 और बी2 प्लेयर्स को गेंद की दिशा लगातार बतानी होती है। कई मैचों में उनकी विकेट कीपिंग इतनी शानदार रही कि बल्लेबाजी की बारी तक नहीं आई।

सीएम मोहन ने किया सम्मानित

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शनिवार को ब्लाइंड वुमन्स टी20 वर्ल्ड कप 2025 की विश्व विजेता भारतीय महिला दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम की मध्यप्रदेश की खिलाड़ी सुनीता सराठे (नर्मदापुरम–पिपरिया), दुर्गा येवले (बैतूल) एवं सुषमा पटेल (दमोह) से भेंट कर उन्हें सम्मानित किया।


अभी हाल ही में आयोजित ब्लाइंड विमेंस टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल जीतने वाली भारतीय टीम का मध्य प्रदेश की तीन महिला खिलाड़ी हिस्सा रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तीनों खिलाड़ियों को 25-25 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया है।

प्रोत्साहन में मिले 25-25 लाख नगद 

तीनों महिला खिलाड़ियों ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में सीएम मोहन यादव से भेंट की। इन खिलाड़ियों में सुनीता सराठे, सुषमा पटेल और दुर्गा येवले शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस उपलब्धि के लिए तीनों खिलाड़ियों को प्रोत्साहन स्वरूप 25-25 लाख रुपए प्रदान किए जाएंगे, जिसमें से 10-10 लाख रुपए नकद और 15-15 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में होंगे।

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