Cricket: RTI से बाहर रहेगा BCCI, स्पोर्ट्स बिल में नहीं किया गया शामिल...जानिए क्या है वजह
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BCCI Will Not Come Under The Purview Of RTI: नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में खेल मंत्रालय ने अहम बदलाव किए हैं, लेकिन बीसीसीआई अब भी आरटीआई के दायरे से बाहर रहेगा। संशोधित बिल में सिर्फ उन्हीं खेल संगठनों को शामिल किया गया है, जिन्हें सरकार से अनुदान या आर्थिक सहायता मिलती है। चूंकि बीसीसीआई को खेल मंत्रालय से कोई अनुदान नहीं मिलता, इसलिए उसे आरटीआई के तहत नहीं लाया गया है। हालांकि, बीसीसीआई को पारदर्शिता के तहत आरटीआई में लाने की मांग लंबे समय से की जाती रही है।
खेल ढांचे को मजबूत करने की तैयारी
23 जुलाई को खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 पेश किया। इस बिल का मकसद देश में खेलों के विकास को नई दिशा देना है। इसके तहत खेलों की प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बॉडी, नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड, नेशनल खेल इलेक्शन पैनल और नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल जैसी संस्थाओं के गठन का प्रस्ताव रखा गया है।
RTI के दायरे में कौन-कौन सी खेल संस्थाएं आएंगी?
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 में साफ किया गया है कि केवल उन्हीं मान्यता प्राप्त खेल संगठनों को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण माना जाएगा, जो केंद्र या राज्य सरकार से आर्थिक अनुदान प्राप्त करते हैं। यानी, जो संस्थाएं सरकार से वित्तीय सहायता लेकर संचालित होती हैं। वही आरटीआई के दायरे में आएंगी। इस प्रावधान के चलते बीसीसीआई जैसे संगठन, जिन्हें सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता, RTI के बाहर रहेंगे। साथ ही कई सांसदों ने इस बिल को पहले संसद की स्थायी समिति (GPC) को भेजने की मांग भी की है, ताकि इसमें और व्यापक विचार-विमर्श हो सके।
RTI से बाहर रखने की यही है बड़ी वजह
बीसीसीआई को सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में क्यों नहीं लाया जा सकता, इस पर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। तकनीकी तौर पर बीसीसीआई केंद्र सरकार से किसी तरह का वित्तीय अनुदान नहीं लेता है। इसलिए उसे RTI के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं माना जा सकता।
यहां सिर्फ पैसों की मदद ही नहीं बल्कि अगर किसी खेल संस्था को आयोजन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर या अन्य सुविधाएं मिलती हैं, तो उसे भी RTI के तहत लाया जा सकता है। इसके बावजूद, बीसीसीआई लगातार खुद को RTI से बाहर रखने की मांग करता रहा है। अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघों के विपरीत, बोर्ड का कहना है कि वह सरकारी सहायता पर निर्भर नहीं है। इसलिए उस पर ये नियम लागू नहीं होने चाहिए।