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रेवती नक्षत्र में पीएम मोदी का शपथ ग्रहण कार्यक्रम बनाएगा भारत को विश्व गुरु

Update: 2019-05-27 13:11 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष के अपरा अचला एकादशी को रेवती नक्षत्र में शपथ ग्रपथ ग्रहण करेंगे। 30 मई को शाम सात बजे रेवती नक्षत्र का चतुर्थ चरण चल रहा होगा। दिन भी गुरुवार पड़ रहा है। एकादशी वैसे भी गुरु का ही दिन है। इस नक्षत्र में शपथ के बाद नरेंद्र मोदी को और प्रभावशाली बनाएगा। इसके साथ ही पृथ्वी तत्व की राशि होने के कारण पूरे जगत में यश मिलेगा। शपथ के लग्न की राशि वृश्चिक

ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी ने बताया कि इस नक्षत्र में शपथ ग्रहण करने के बाद भारत और शक्तिशाली बनेगा वही जातक भी वफादार और कल्पनाशील, निडर और शक्तिशाली होगा। आगे चुनाव में 2024 में भी सफलता मिलेगी। उस समय ग्रहों का चार ग्रही योग बन रहा है। जोकि अनुकुल योग है, तथा अनिवपयोग का निर्माण करता है। जो कि उन्हें विशिष्ट क्षमता, बाला और प्रभावशाली, बनाएगा जिससे देश में वह कड़े फैसले कर सकेंगे चुनाव नीति में भी बदलाव आएंगे।

ज्याेतिषाचार्य श्री सोनी ने बताया कि नक्षत्र के चार पाद हैं। पहला पाद में माता पिता काे लोभ, दूसरे में धन, तीसरे राज समान, चतुर्थ में प्रभावशाली बनता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में हो रहा है। इस कारण यह उन्हें और अधिक प्रभावशाली बनाएगा। रेवती का स्वामी गुरू, राशि मीन है। आय के अनेक साधन रहेंगे। पृथ्वा तत्व की राशि होने के कारण यश पाएंगे।

नरेंद्र मोदी और शपथ की कुंडली में है अद्भुत संयोग

ज्याेतिषाचार्य श्री सोनी ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह के समय रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण में चंद्र गति करते रहेंगे, जो लग्न के पांचवें में होने के कारण जनप्रियता तथा रचनात्मक जनप्रियता तथा रचनात्मक कार्यक्रम की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने बताया कि उस समय की लग्न कुंडली बनाने पर उस समय वृश्चिक लग्न में होनी है,जो की स्थिर राशि है और मंगल जिसका स्वामी है। यह राजकीय कार्यों व शक्तिपूर्ण कार्यों की राशि होती है। स्वयं नरेंद्र मोदी की कुंडली भी वृश्चिक लग्न की ही है तो यह दोनों में अद्भुत साम्य है। इससे साफ़ है की नयी सरकार पर निष्कंटक रूप से मोदी का ही प्रभाव रहेगा तथा इसके साथ-साथ रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण में चंद्र गति करते रहेंगे जो की लग्न से पाँचवें होने से जनप्रियता तथा रचनात्मक कार्यक्रम की ओर इशारा करते हैं।

गुरु करेगा धार्मिक कार्य को प्रेरित

उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त जो इस शपथ लग्न की सर्वाधिक ख़ास बात है कि वृश्चिक लग्न केंद्र में ही वृहस्पति स्थित हैं तथा सातवें केंद्र में सूर्य से सीधे दृष्टि व राजयोग बना रहे हैं यह दशम व पंचम का योग और भी ख़ासियत लिए हुए इसलिए भी रहेगा, क्योंकि पाँचवें में मीन राशि के चंद्र पर बृहस्पति की दृष्टि भी रहेगी। इसका अर्थ है कि पूरे कार्यकाल में जनकल्यान,धार्मिक नैतिकता और उच्च प्रशासनिक मापदंडों पर कार्य होगा। दूसरी बात अच्छी नीयत से यह सरकार सबके साथ न्याय करेगी। वैसे दूसरे भाव में स्थित शनि केतु व आठवें मंगल राहु कमज़ोर करने व बांधा पहुँचाने की कोशिश भी लोगों को करते दिखेंगे परंतु फिर भी औसत से बेहतर सरकार प्रदर्शन रहने के योग है।

साैभाग्य योग बनाएगा भारत को विश्व गुरु

इस संबंध में ज्याेतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार कि उस समय सौभाग्य योग भी बन रहा है। जो मोदी जी की प्रतिभा को बढ़ाएगा। और भारत विश्व गुरु की ओर अक्सर होगा होगा। शपथ ग्रहण के वक्त बुध की महदशा में बृहस्पति की अंतर्दशा व सूर्य व चंद की सूक्ष्म तथा प्राणदशा रहेगी। जो की दर्शाती है कि समय परिस्थितियों का भी सहयोग इस सरकार को मिलेगा, जिससे खासतौर पर अर्थव्यवस्था,शिक्षा, नारी जगत से जुड़े मुद्दों व विषयों में बड़ी सफलता मिलेगी।

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