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इस व्रत को करने से सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति

Update: 2020-04-03 06:38 GMT

नई दिल्ली। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। श्रीरामनवमी के एक दिन बाद मनाई जाने वाली इस एकादशी को समस्त सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष माना जाता है। कामदा एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है। यह व्रत बहुत ही फलदायी है। इसे फलदा एकादशी या कामदा एकादशी भी कहा जाता है। बुरी आदतों से छुटकारा पाने के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है।

इस तिथि पर व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में सुबह स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु को गेंदे के फूल अर्पित करें। भगवान विष्णु की पूजा में दूध, तिल, फल-फूल और पंचामृत का प्रयोग करें। कामदा एकादशी का वर्णन विष्णु पुराण में किया गया है। जो मनुष्य यह व्रत रखता है, उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है। कामदा एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोज और दक्षिणा का विशेष महत्व है। ब्राह्मण भोज के बाद ही व्रती को भोजन करना चाहिए। इस व्रत में अपने मन को संयमित रखें। रात्रि में भगवान श्री हरि विष्णु का भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। इस व्रत में चावल का उपयोग न करें। पति और पत्नी दोनों एक साथ भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें। 

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