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शताब्दी के अंत तक 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी मकर संक्रांति, ये...है कारण

पृथ्वी के अयनांश में परिवर्तन के कारण बन रहा ऐसा संयोग

Update: 2023-01-15 08:57 GMT

वेबडेस्क।  मकर संक्रांति का पर्व अब पूरी शताब्दी यानी करीब 77 वर्ष तक 15 जनवरी को ही पड़ेगा। यह संयोग पृथ्वी के अयनांश में परिवर्तन के कारण बन रहा है।ज्योतिषआचार्यके अनुसार, पृथ्वी का अपनी धुरी पर जो झुकाव है, उसमें थोड़ा परिवर्तन हुआ है। इसके चलते 21वीं शताब्दी के बचे वर्षों में 14 जनवरी की रात अथवा

15 जनवरी के भोर में ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस तरह आगामी करीब 77 साल तक मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही पड़ने की संभावना बलवती है। इस पहले यह त्योहार 14 जनवरी को ही पड़ता रहा है। इस साल सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 8.21 बजे हुआ। पंचांग के अनुसार पर्व उदया तिथि में मनाए जाते हैं, इसलिए मकर संक्रांति का स्नान और दान रविवार को है।

उधर, तीर्थराज प्रयाग में चल रहे माघ मेले में 14 जनवरी को भी मकर संक्रांति का स्नान हुआ। मेला प्रशासन के अनुसार शनिवार शाम छह बजे तक 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम समेत गंगा के विभिन्न स्नान घाटों पर डुबकी लगाई। मकर संक्रांति का पुण्य काल रविवार को है। इसलिए आज भोर से ही संगम सहित अन्य घाटों पर भीड़ है। मेला प्रशासन ने मकर संक्रांति के स्नान को लेकर पुख्ता इंतजाम किया है। पूरे मेला क्षेत्र में संगम समेत 15 स्नान घाट बनाए गए हैं।

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