बदल रहा है आज से, सूरज अपनी चाल।
सर्दी भी जिद पै अड़ी, जाने को ससुराल।।
मकर राशि में कर रहा, सूरज आज प्रवेश।
रोग शोक सबके मिटें, सुखमय हो परिवेश।।
जीवन में सबकी उड़े, ऊँची खूब पतंग।
करतब जिसके देख के, रह जायें सब दंग।।
तिल गुड़ जैसे मिल गये, मिल जायें सब लोग।
भारत भू से दूर हो, छुआ-छूत का रोग।।
तिल गुड़ जब तक दूर थे, दोनों थे बेकार।
दोनों मिल आगे बढ़े, खूब बढ़ा व्यापार।।
स्वाद गजक का बढ़ गया, खा खा गहरी चोट।
जितना कूटा जोर से, उतना मिटया खोट।।
गर्म तेल में जब सिकी, पिसी मूँग की दाल।
स्वाद निराला हो गया, करती खूब कमाल।।
चढ़ी पतीली दूध की, चावल उबला खूब।
दोनों मिल तसमई भये, निखरा रूप अनूप।।
बूढा सूरज होयगा, दिन दिन रोज जवान।
अधरों पर अब आयगी, दिनकर के मुस्कान।।