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भगवान शंकर के डमरू की आवाज में है अद्भुत क्षमता

Update: 2018-08-13 08:42 GMT

हरिद्वार। हिन्दू धर्म का नृत्य, कला, योग और संगीत से गहरा नाता रहा है। हिन्दू धर्म मानता है कि ध्वनि और शुद्ध प्रकाश से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है। आत्मा इस जगत का कारण है। हिन्दू धर्म में कुछ ध्वनियों को पवित्र और रहस्यमयी माना गया है। जैसे, मंदिर की घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, पुंगी या बीन, ढोल, नगाड़ा, मृदंग, चिमटा, तुनतुना, घाटम, दोतार, तबला और डमरू।

श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर के श्रीमहंत त्रिवेणीदास महाराज के अनुसार डमरू या डुगडुगी एक छोटा संगीत वाद्य यंत्र होता है। डमरू को हिन्दू, तिब्बती और बौद्ध धर्म में बहुत महत्व माना गया है। भगवान शंकर के हाथों में डमरू को दर्शाया गया है। साधु और मदारियों के पास अक्सर डमरू मिल जाएगा। शंकु आकार के बने इस ढोल के बीच के तंग हिस्से में एक रस्सी बंधी होती है जिसके पहले और दूसरे सिरे में पत्थर या कांसे का एक-एक टुकड़ा लगाया जाता है। जब डमरू को बीच में से पकड़कर हिलाया जाता है तो यह डला (टुकड़ा) पहले एक मुख की खाल पर प्रहार करता है और फिर उलटकर दूसरे मुख पर, जिससे डुग-डुग की आवाज उत्पन्न होती है। इसीलिए इसे डुगडुगी भी कहते हैं। बताया कि वेबदुनिया की रिसर्च अनुसार जब डमरू बजता है तो उसमें से 14 तरह के साऊंड निकलते हैं। पुराणों में इसे मंत्र माना गया। यह साऊंड इस हैं अइउण्, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्, ञमड.णनम्, भ्रझभञ, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव, कपय्, शषसर, हल्। उक्त आवाजों में सृजन और विध्वंस दोनों के ही स्वर छिपे हुए हैं।पुराणों के अनुसार भगवान शिव के डमरू से कुछ अचूक और चमत्कारी मंत्र निकले थे। कहते हैं कि यह मंत्र कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। कोई भी कठिन कार्य हो शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है। उक्त मंत्र या सूत्रों के सिद्ध होने के बाद जपने से सर्प, बिच्छू के काटे का जहर उतर जाता है। ऊपरी बाधा हट जाती है। माना जाता है कि इससे ज्वर, सन्निपात आदि को भी उतारा जा सकता है।

डमरू की ध्वनि जैसी ही ध्वनि हमारे भीतर भी बजती रहती है। इसे अ, उ और म या ओम कहते हैं। हृदय की धड़कन और ब्रह्मांड की आवाज में भी डमरू के स्वर मिले हुए हैं। डमरू की आवाज लय में सुनते रहने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और हर तरह का तनाव हट जाता है। इसकी आवाज से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां भी दूर हो जाती है।

डमरू भगवान शिव का वाद्ययंत्र ही नहीं यह बहुत कुछ है। इसे बजाकर भूकंप लाया जा सकता है और बादलों में भरा पानी भी बरसाया जा सकता है। डमरू की आवाज यदि लगातर एक जैसी बजती रहे तो इससे चारों और का वातावरण बदल जाता है। यह बहुत भयानक भी हो सकता है और और सुखदायी भी। डमरू के भयानक आवाज से लोगों के हृदय भी फट सकते हैं। कहते हैं कि भगवान शंकर इसे बाजाकर प्रलय भी ला सकते हैं। यह बहुत ही प्रलयंकारी आवाज सिद्ध हो सकती है। डमरू की आवाज में कई रहस्य छिपे हुए हैं।

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