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देवउठनी ग्यारस को नहीं होंगे विवाह, इस समय अस्त है गुरु का तारा

ढाई माह तक करना होगी प्रतीक्षा,गुरु का तारा 17 जनवरी को उदय होने के बाद विवाह के शुभ मुहूर्त आरंभ होंगे

Update: 2018-11-02 09:03 GMT

विवाह संस्कार के लिए आकाश मंडल में गुरु और शुक्र तारे का उदय होना जरूरी है। लडक़ी के लिए गुरु और लडक़े के लिए शुक्र बलवान होने पर ही विवाह का शुभ मुहूर्त निकलता है, लेकिन इस समय गुरु का तारा अस्त है, जो लड़कियों के विवाह के लिए शुभकारी नहीं माना जाता है। गुरु का तारा 17 जनवरी को उदय होने के बाद विवाह के शुभ मुहूर्त आरंभ होंगे। इसका मतलब यह है कि इस बार देवउठनी ग्यारस को कोई विवाह नहीं होगा। विवाह के लिए युवक-युवतियों को ढाई माह का इंतजार करना होगा।

ज्योतिषाचार्य सतीष सोनी के अनुसार जिन युवक-युवतियों का रिश्ता तय होने वाला है और विवाह करने का सपना देख रहे हैं, उन्हें अभी विवाह के लिए और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि वर्ष 2018 के शेष बचे नवम्बर और दिसम्बर महीने के बाद 16 जनवरी तक एक भी श्रेष्ठ मुहुर्त नहीं है। इस कारण विवाह के लिए कारक माने जाने वाले गुरु तारा का अस्त होना है, जिसके चलते विवाह जैसे शुभ संस्कार नहीं होंगे। गुरु तारा उदित होने और मलमास खत्म होने के बाद 17 जनवरी 2019 से ही फेरे लिए जा सकेंगे। जुलाई में पड़ी देवशयनी एकादशी से शुभ कार्य बंद हो चुके हैं।

केवल तुलसी विवाह होगा:-

दीपावली के बाद 19 नवम्बर को देवउठनी एकादशी पड़ रही है। इस दिन तुलसी-सालिगराम विवाह होगा, लेकिन युवक-युवतियों के विवाह संस्कार नहीं किए जाएंगे। चूंकि गुरु तारा अस्त हो रहा है, इसलिए विवाह संस्कार नहीं किया जा सकता।

14 दिसम्बर से मलमास:-

इसके बाद 14 दिसम्बर से 14 जनवरी मकर संक्रांति तक मलमास लग जाएगा। शास्त्रों में मलमास के दौरान भी शुभ कार्य करने की मनाही है। इस तरह देखा जाए तो शुभ संस्कारों पर जुलाई से लगी रोक जनवरी माह में पडऩे वाली मकर संक्रांति तक जारी रहेगी। गुरु अस्त रहने के दौरान अगहन शुक्ल पंचमी तिथि 12 दिसम्बर को श्रीराम-जानकी विवाह होगा।


विवाह के मुहुर्त:-

जनवरी-17, 18, 22, 23, 29

फरवरी-9, 10, 21





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