Kumudini Lakhia Passes Away: पद्म विभूषण से सम्मानित कत्थक डांसर कुमुदिनी लाखिया का निधन, PM बोले- उनके योगदान को संजोया जाएगा

Update: 2025-04-12 09:54 GMT

Kumudini Lakhia Passes Away

Kathak Dancer Kumudini Lakhia Passes Away : दिल्ली। पद्म विभूषण से सम्मानित कथक गुरु कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया का आज 12 अप्रैल 2025 को निधन हो गया। उनके निधन की पुष्टि उनके संस्थान 'कदम्ब' की एडमिनिस्ट्रेटर पारुल ठाकुर ने की है। पीएम मोदी ने कुमुदिनी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि, उनके योगदान को हमेशा संजोया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स अकाउंट पर पोस्ट साझा की है। इसमें उन्होंने कहा कि, कुमुदिनी लाखिया जी के निधन से बहुत दुःख हुआ, जिन्होंने एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई। कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून पिछले कई वर्षों में उनके उल्लेखनीय कार्यों में झलकता है।

एक सच्ची अग्रणी होने के साथ-साथ उन्होंने कई पीढ़ियों के नर्तकों का पालन-पोषण भी किया। उनके योगदान को हमेशा संजोया जाएगा। उनके परिवार, छात्रों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।

कौन हैं कुमुदिनी लाखिया

पद्म विभूषण से सम्मानित कत्थक डांसर कुमुदिनी लाखिया भारतीय शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, जिन्होंने कत्थक को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 17 मई 1930 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। कुमुदिनी ने सात साल की उम्र में कत्थक की शिक्षा शुरू की और विभिन्न गुरुओं जैसे बिकानेर घराने के सोहनलाल, बनारस घराने के आशिक हुसैन, और जयपुर घराने के सुंदर प्रसाद से प्रशिक्षण लिया। बाद में उन्होंने शंभु महाराज से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया, जो उनके कला विकास में अहम रहे।

कुमुदिनी लाखिया ने 1967 में अहमदाबाद में कदंब सेंटर फॉर डांस एंड म्यूजिक की स्थापना की, जो एक संस्थान है जो भारतीय नृत्य और संगीत को समर्पित है। वे कत्थक को एकल रूप से हटाकर इसे समूह नृत्य के रूप में प्रस्तुत करने वाली पहली नृत्यांगनाओं में से एक मानी जाती हैं। उन्होंने पारंपरिक कहानियों से हटकर समकालीन कथाओं को कत्थक में शामिल किया, जिससे इस कला को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिली। उनकी प्रसिद्ध कोरियोग्राफियां जैसे "धबकर", "युगल", और "अतः किम" कत्थक की नई शैली का प्रतीक हैं। इसके अलावा, उन्होंने 1981 में हिंदी फिल्म "उमराव जान" के लिए कोरियोग्राफी में भी योगदान दिया।

कुमुदिनी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें 1987 में पद्म श्री, 2010 में पद्म भूषण, और 2025 में पद्म विभूषण शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, गुरु अच्हन महाराज पुरस्कार, और अन्य राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त हुए। 


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