अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2025: छत्तीसगढ़ में आज बोरे-बासी दिवस मनाएगी कांग्रेस, क्या है इसकी खासियत

Update: 2025-05-01 05:06 GMT

International Workers Day 2025 : रायपुर। छत्तीसगढ़ में 1 मई 2025 को मजदूर दिवस के अवसर पर कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर बोरे-बासी दिवस मनाने का ऐलान किया है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की है कि वे इस दिन पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन बोरे-बासी खाएं और उसकी तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें। यह परंपरा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू हुई थी, जिसे अब पार्टी राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक बनाने की कोशिश कर रही है।

भारत निर्माण में श्रमिकों की अहम भूमिका

2023 में सत्ता परिवर्तन के बाद जब विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी, तो पिछले साल मुख्यमंत्री ने रायपुर के गांधी चौक में आयोजित ‘कामगारों का सम्मान समारोह’ में मजदूरों के साथ बोरे-बासी खाया और मजदूर दिवस की शुभकामनाएं दीं। इस बार 1 मई 2025 को सीएम साय ने आधिकारिक शेड्यूल में बोरे-बासी दिवस का कोई जिक्र नहीं है।

हालांकि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रदेश के सभी श्रमवीरों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। सीएम साय ने कहा कि श्रमिक समाज के अभिन्न अंग हैं और किसी भी समावेशी विकास यात्रा की नींव श्रमिकों के परिश्रम पर टिकी होती है। राज्य सरकार श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है।

 कांग्रेस ने की ये अपील

कांग्रेस ने बोरे-बासी दिवस को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 30 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया पर लिखा, “हमर बोरे-बासी, हमर अभिमान। हमर सरकार में श्रमिक भाई अउ किसान संग जम्मो छत्तीसगढ़वासी मन के मेहनत अउ उकर खान-पान के सम्मान करे बर बोरे-बासी तिहार शुरू करे रेहेन।” उन्होंने लोगों से इस दिन बोरे-बासी खाकर अपनी संस्कृति का गौरव बढ़ाने की अपील की।

भाजपा ने इसे कांग्रेस का “सियासी शिगूफा” करार दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने बोरे-बासी को छत्तीसगढ़ की संस्कृति के नाम पर सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया।

भूपेश बघेल के दौर में शुरू हुआ था अभियान

साल 2020 में भूपेश बघेल सरकार ने मजदूर दिवस को बोरे-बासी तिहार के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। यह एक सोशल मीडिया अभियान के रूप में उभरा, जिसमें मंत्रियों, विधायकों, कलेक्टरों, IAS और IPS अधिकारियों तक ने बोरे-बासी खाते हुए अपनी तस्वीरें साझा कीं। इस अभियान ने बोरे-बासी को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता से जोड़कर एक बड़ा ट्रेंड बनाया। हैशटैग #HamarBoreBaasi ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं। उस दौरान यह आयोजन मजदूरों के सम्मान और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के गौरव का प्रतीक बन गया।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति का गौरव

बोरे-बासी, छत्तीसगढ़ का एक पारंपरिक भोजन है, जिसमें रात के बचे चावल को पानी में भिगोकर रखा जाता है और सुबह उसे चटनी, अचार या प्याज के साथ खाया जाता है। यह भोजन खास तौर पर मजदूरों और किसानों के बीच लोकप्रिय है, क्योंकि यह पौष्टिक, सस्ता और गर्मियों में शरीर को ठंडक देने वाला होता है। कांग्रेस ने इसे मेहनतकश वर्ग की मेहनत और जीवनशैली का प्रतीक बताते हुए बोरे-बासी दिवस के रूप में स्थापित किया। पार्टी का कहना है कि यह सिर्फ खाना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी और संस्कृति से जुड़ा एक भावनात्मक प्रतीक है।

क्या है बोरे-बासी की खासियत?

बोरे-बासी न सिर्फ स्वादिष्ट, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। यह गर्मियों में डिहाइड्रेशन और लू से बचाता है, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और पाचन को बेहतर बनाता है। छत्तीसगढ़ के मजदूर और किसान इसे सुबह या दोपहर के भोजन के रूप में खाते हैं, जो उन्हें दिनभर की मेहनत के लिए ऊर्जा देता है। आज यह व्यंजन छत्तीसगढ़ के बड़े होटलों के मेन्यू में भी शामिल हो चुका है।

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