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भारत का संविधान विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान और एक जीवंत दस्तावेज है : वेंकैया नायडू

Update: 2019-11-26 10:51 GMT

दिल्ली। उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि अधिकार एवं कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और देश के नागरिकों को उनके मूल अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक बनाया जाना चाहिए।

संविधान अंगीकार करने के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान और एक जीवंत दस्तावेज है। इसे 103 बार संशोधित किया गया है, जो इस बात का परिचायक है कि तेजी से बदलते देश में संविधान की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि संविधान का मसौदा तैयार करने से पहले डॉ भीमराव अंबेडकर ने 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया था और तीन साल तक विचार-विमर्श कर के 2,473 संशोधनों के साथ इसे एक पूर्ण दस्तावेज बनाया गया। उन्होंने कहा कि रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, आयरलैंड, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और जापान के संविधानों के कई प्रावधानों को इस शामिल कराया गया।

नायडू ने कहा कि गत 70 वर्षों में भारत के लोकतंत्र की प्रगति कुल मिलाकर सकारात्मक रही है। उन्होंने आपातकाल को एक 'काला धब्बा' बताते हुए कहा कि उस वक्त संविधान को कुचलने का प्रयास किया गया था क्योंकि हमने डॉ अंबेडकर की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया था।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज संविधान दिवस के महत्वपूर्ण अवसर पर संविधान की मान्यताओं और मर्यादाओं के संरक्षण और संवर्धन के प्रति पुनः संकल्पबद्ध हो। लोकतांत्रिक गणराज्य में सचेत नागरिकों के सक्रिय और सार्थक प्रयास आवश्यक शर्त है। इसलिए संविधान में निहित आदर्शों और मर्यादाओं की पूर्ति के लिए जरूरी है कि नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ मूल कर्तव्यों का आस्थापूर्वक पालन करें और अपने निजी, सामुदायिक और व्यावसायिक जीवन में नागरिक कर्तव्यों को आत्मसात करें।

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