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मन की पूर्ण शान्ति का जरिया है ध्रुपद गायकी : वसिफुद्दीन

Update: 2018-10-06 15:56 GMT

नई दिल्ली, स्व स से। संगीत की तीन विधाओं गायन, नृत्य और वादन में गायन से मन को पूर्ण शांति प्रदान की जा सकती है। संगीत में स्वर, लय और ताल में चोली दामन का साथ होता है। सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायक उस्ताद वासिफुद्दीन डागर बुधवार को यहाँ राजघाट स्थित गांधी दर्शन में स्रोताओं के साथ ध्रुपद गायन पर चर्चा कर रहे थे। पद्मश्री से सम्मानित वसिफुद्दीन ने संगीत की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि जीवन में शांति प्राप्त करना मानव मन की श्रेष्ठ उपलब्धि होती है। गांधी जयंती के उपलक्ष्य में संस्कार भारती व गांधी समृति एवं दर्शन समिति के संयोजकत्व में तीन दिन तक चलने वाले इस आयोजन में देशभर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके अनुसांगिक संगठनों के कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम के विशेष अतिथि थे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ अनिल जैन। इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के संगठन मंत्री बांके लाल जी, प्रवक्ता अरुण कुमार, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, सह संगठन मंत्री अमीरचंद जी, आदि उपस्थित थे।

कार्यक्रम की औपचारिक प्रक्रिया के उपरांत अब बारी थी संगीत का जादू बिखेरने की। वसिफुद्दीन ने पहले स्रोताओं को पहले ध्रुपद गायन से परिचय करवाया फिर अपनी गायकी का लोहा मनवाया। उन्होंने दिखाया कि वे क्यों ध्रुपद गायकी के उत्कृष्ट कलाकार हैं। गायकी में स्वर साधना, स्वर को ऊचाई तक ले जाना फिर नीचे लेकर नाद पैदा करने जैसे करतब दिखाकर वसिफुद्दीन ने सभागार में स्रोताओं से खूब तालियां बटोरीं। उन्होंने बार बार ध्रुपद गायन में स्वरों के अनूठे प्रयोग करते हुए स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गायकी को वे उच्च स्तर पर ले जाते हुए उससे निकलने वाले नाद डमरू की ध्वनि से परिचित करवाते। जो स्रोताओं को ह्रदय से छू जाता। संगीत प्रेमियों के लिए ये आंतरिक अनुभूति का विषय था जो केवल अनुभूति में लाया जा सकता है, शब्दों में नहीं।

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