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गलत विज्ञापन से फेसबुक और गूगल पर एक्शन के लिए चुनाव आयोग ने केंद्र से मांगे अधिकार

Update: 2019-02-08 12:57 GMT

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर गलत कंटेंट या तय मानक के विपरीत विज्ञापन देने पर कार्रवाई की इजाजत मांगी है। आयोग ने यह अनुमति केंद्र सरकार से मांगी है, ताकि वह गलत विज्ञापन या मानक के विपरीत चुनाव से जुड़े कंटेंट के मामले में सोशल मीडिया या डिजिटल प्लेटफार्म के खिलाफ कार्रवाई कर सके। इसके लिए कानून में प्रावधान करने के लिए भी आयोग ने कहा है।

दरअसल चुनाव आयोग चाहता हैचुनाव से पहले कुछ ऐसा नियम बनाया जाए, जिससे चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर नियंत्रण किया जा सके। फरवरी के अंत तक आम चुनाव का ऐलान हो सकता है, जिसके बाद आयोग की तरफ से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।

सोशल मीडिया पर सीधी निगरानी होती है मुश्किल

आयोग का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ इससे पहले कभी सीधी कार्रवाई नहीं होती थी। उनपर सीधी निगरानी रखना मुश्किल है, इसलिए चुनाव से 48 घंटे पहले सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म पर तमाम तरह के विज्ञापन पर रोक लगे।

फेसबुक ने टूल लॉन्‍च किया

फेसबकु आम चुनाव से पहले राजनीतिक विज्ञापनों के मामले में पारदर्शिता लाने जा रहा है। कंपनी ने कहा है कि राजनीतिक विज्ञापनों के ऊपर यह जानकारी रहेगी कि किसने विज्ञापन प्रकाशित किया है। इससे लोगों को यह पता चलेगा कि इन विज्ञापनों के पीछे कौन लोग हैं।

वॉट्सऐप जा सकता है देश से बाहर

चुनाव आयोग की मांग के बाद सरकार देश में सोशल मीडिया पर लगाम कसने की तैयारी कर रही है। वॉट्सऐप के कम्यूनिकेशन हेड कार्ल वूग ने बताया कि प्रस्तावित नियमों में से जो सबसे ज्यादा चिंता का विषय है, वह मैसेजेज का पता लगाने पर जोर देना है।

इससे पहले भी आती रहीं है शिकायत

इससे पहले वॉट्सऐप और फेसबुक के खिलाफ पहले भी भ्रामक विज्ञापन और कंटेंट को लेकर शिकायत की जाती रही है। इसके बाद इन दोनों ही सोशल मीडिया साइट्स पर से इस तरह की गलत जानकारी को हटाया गया है। फेसबकु आम चुनाव से पहले राजनीतिक विज्ञापनों के मामले में पारदर्शिता लाने जा रहा है। इसकी जानकारी कंपनी के ओर से दी गई है। 

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