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कोरोना पर कोहराम, जागरूकता एकमात्र विकल्प

Update: 2020-03-05 13:44 GMT

नई दिल्ली। भारत का पड़ोसी देश चीन इस समय कोरोना के कहर से जूझ रहा है। मौत का तांडव मचाता कोरोना के रूप में यह दानव दिनोंदिन और अधिक शक्तिशाली बनता जा रहा है। अकेले चीन में यह तीन हजार से ज्यादा लोगों को ग्रास बना चुका है। चीन में रह रहे विदेशी नागरिकों की भगदड़ के चलते कोरोना अब दूसरे देशों में दस्तक दे रहा है। भारत में अब तक दो नागरिक कोरोना से ग्रस्त पाए गए हैं जबकि दिल्ली से सटे राज्यों में संख्या संदिग्ध बताई जा रही है। कोरोना के इस बढ़ते खतरे को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बुधवार को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को निर्देश दिया कि वे कोरोना वायरस के खिलाफ जरूरी एहतियाती कदमों को लेकर छदात्रों में जागरूकता फैलाएं। वैसे केंद्र सरकार ने विषाणु के प्रसार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय हर कदम पर निगरानी रखे हुए है। फिर भी सरकार को लगता है कि जागरूक छात्र अपने परिवार व समुदाय के लिए तथा इससे भी आगे परिवर्तन के वाहक हो सकते हैं। कोरोना वायरस के प्रसार पर नियंत्रण रखने के लिए आम जनता में जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है। छात्रों में जागरूकता फैलाने के क्रम में बार-बार हाथ धोने, छीकते या खासते समय मुंह पर रूमाल रखने, टिश्यू पेपर, कमीज की बाजू के उपरी हिस्से का इस्तेमाल करने, बीमारी के समय स्कूल से दूर रहना, भीड़भाड़ से बचने जैसे सावधानी भरे कदम न केवल इस बीमारी, बल्कि बड़ी संख्या में अन्य संक्रामक रोगों को राकेने या इनके प्रसार को नियंत्रित करने में मदद करेंगे।

भारत में कोरोना से संक्रमित मरीज पाए जाने से सरकार और लोगों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। हाल ही में एक व्यक्ति दिल्ली और दूसरा तेलंगाना में मिला है। जांच में पता चला है कि इनमें एक व्यक्ति इटली से आया है जबकि दूसरा दुबई से लौटा था। हो सकता है कि दोनों ही पहले सं कोरोना से संक्रमित रहे हों। सरकार विदेशों खासकर ईरान व एशियाई देशों से आने वाले यात्रियों की जांच कर रही है। दूसरे देशों में फंसे लोगों को वापस लाया जा रहा है। सवाल यह है कि भारत में अगर कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो क्या भारत इतना सक्षम है कि वह गंभीर आपदा का सामना कर पाए? डर इस बात का भी है कि संक्रमण के जरिए कहीं यह वायरस छोटे शहरों या ग्रामीण स्तर तक चला गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। क्योंकि महानगरों और कुछ बड़े शहरों को छोड़ दे ंतो हालत यह है कि ज्यादातर इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अभी उपयुक्त सेवाएं नहीं हैं।

कोरोना ने चीन से लेकर अमरीका तक जिस तरह अपने पैर पसारे हैं उससे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है कि कैसे इसका तोड़ निकाला जाए और फैलने से रोका जाए। अमेरिका में कोरोना से छह लोग मारे जा चुके हैं। ईरान में हालात ज्यादा खराब हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही इसे गंभीर वैश्विक आपदा का दर्जा दे चुका है।  

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