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प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ 'फीडर सेंटर' बना ग्वालियर 'दर्पण फीडर सेंटर'

सचिन श्रीवास्तव

Update: 2020-10-19 01:30 GMT

ग्वालियर। 'चैंपियनÓ आकाश से नहीं टपकते वरन धरती में ही तैयार होते हैं और आकाश में विजय पताका फहरा कर अपने देश-प्रदेश व जिले का नाम रोशन करते हैं। ग्वालियर और हॉकी की बात करें तो यहां का अतीत और वर्तमान दोनों गौरवशाली रहे हैं। यहां विश्व विजेता शिवाजी पवार और पूर्व ओलंपियन शिवेंद्र चौधरी जो वर्तमान में भारतीय हॉकी टीम के सहायक प्रशिक्षक भी है इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं मध्यप्रदेश शासन के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के स्थानीय दर्पण मिनी स्टेडियम पर एनआईएस हॉकी प्रशिक्षण अविनाश भटनागर से हॉकी का ककहरा सीखने के उपरांत कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी हॉकी की चमक बिखेर रहे हैं जिसका उत्कृष्ट उदाहरण पिछले वर्ष अर्जेंटीना में आयोजित यूथ ओलंपिक में रजत पदक लेकर आई ग्वालियर की इशिका चौधरी और सीनियर राष्ट्रीय हॉकी टीम में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रही ग्वालियर महिलाओं के इतिहास की पहली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कुमारी करिश्मा यादव है यह परिणाम प्रदेश व देश के सुनहरे भविष्य के संकेत हैं।

35 जिलों में संचालित हैं फीडर सेंटर

दर्पण मिनी स्टेडियम पर नियुक्त हॉकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर बताते हैं कि मध्यप्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना फीडर सेंटर के रूप में प्रदेश की लगभग 35 जिलों में संचालित है इन फीडर सेंटरों का उद्देश्य है कि इसमें 14 वर्ष से कम उम्र के बालक-बालिकाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर राÓय पुरुष हॉकी अकादमी भोपाल एवं राÓय महिला हॉकी अकादमी ग्वालियर में चयनित कर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार किए जाए। इसी उद्देश्य को सार्थक करते हुए प्रदेश में परिणामों की दृष्टि से ग्वालियर का दर्पण फीडर सेंटर सर्वश्रेष्ठ फीडर सेंटर है यहां से हॉकी की बारीकियां सीखने के उपरांत 17 बालिका खिलाड़ी राÓय महिला अकादमी ग्वालियर में एवं 16 बालक खिलाड़ी राÓय पुरुष हॉकी अकादमी भोपाल में चयनित होकर प्रदेश व देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

हॉकी स्टिक और बॉल की आवाज से गूंज उठता है स्टेडियम

सुबह चिडिय़ों का चहचहाना और दर्पण मिनी स्टेडियम पर हॉकी स्टिक और बॉल की आवाज एक साथ सुनाई देती हैं प्रशिक्षक खिलाडिय़ों को ड्रिबलिंग, रोलिंग, हिटिंग, स्टॉपिंग, पासिंग आदि निर्देश देते नजर आते हैं निर्देशों का अ'छे से पालन कर खिलाड़ी दिनों- दिन अपने खेल में निखार ला रहे हैं।

प्रशिक्षक का सपना भारत ओलंपिक में जीते पदक

वर्ष 2006 से दर्पण फीडर सेंटर पर पदस्थ प्रशिक्षक अविनाश भटनागर का सपना है कि इस सेंटर के अधिक से अधिक खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने और ओलंपिक में देश के लिए पदक जीते। श्री भटनागर ने बताया कि वह पिछले 15 वर्षों से पूरी लगन के साथ प्रशिक्षण दे रहे हैं।वह खिलाडिय़ों के खेल कौशल, फिटनिस, डाइट के अलावा उनकी आर्थिकरूप से भी मदद करते हैं।

करिश्मा को देख कर उसके गांव के लोग बेटियों को सिखा रहे हॉकी

ग्वालियर के मेहरा गांव की रहने वाली करिश्मा यादव ने हॉकी की शुरुआत 2007 में प्रारंभ की, उसके बाद 2009 में करिश्मा का चयन मप्र राÓय महिला हॉकी अकादमी ग्वालियर में हुआ और फिर करिश्मा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। खास बात ये है कि अपनी मेहनत के कारण ही करिश्मा ग्वालियर के महिला हॉकी इतिहास की पहली अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनी। उन्हें 2015 में महिला हॉकी इतिहास मप्र का पहला एकलव्य पुरस्कार मिला और इस बार राÓय सरकार द्वारा घोषित वर्ष 2019 के सर्वो'च खेल पुरस्कार में विक्रम पुरस्कार के लिए करिश्मा का चयन हुआ। 

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